Saturday, November 15, 2025
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तीनों सेनाएँ हुई एक साथ पश्चिमी सीमा पर भारत का महा-सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल’ होगा शुरू

नई दिल्ली! भारत की तीनों सेनाएँ थल सेना, नौसेना और वायु सेना 30 अक्टूबर 2025 से पश्चिमी सीमा पर ‘त्रिशूल’ नामक विशाल त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास शुरू करने जा रही हैं। यह युद्धाभ्यास पाकिस्तान की सीमा से सटे गुजरात के सिर क्रीक और सिंध-कराची सेक्टर के समीप आयोजित किया जाएगा और 10 नवंबर तक चलेगा। रक्षा सूत्रों के अनुसार यह अभ्यास भारत की सामरिक तत्परता और तीनों सेनाओं के संयुक्त संचालन कौशल को परखने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान भूमि, वायु और समुद्र तीनों मोर्चों पर एक साथ सैन्य अभियान चलाने की क्षमता का परीक्षण किया जाएगा।

‘त्रिशूल’ अभ्यास के लिए भारत सरकार ने नोटिस टू एरमेन (NOTAM) जारी किया है जिसके तहत लगभग 28,000 फीट ऊंचाई तक का बड़ा हवाई क्षेत्र आरक्षित कर दिया गया है। इस क्षेत्र में भारतीय वायु सेना अपने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, राडार प्रणाली, मिसाइल नियंत्रण प्रणाली और ड्रोन नेटवर्क का परीक्षण करेगी। थल सेना की टुकड़ियाँ रेगिस्तानी और तटीय इलाकों में संयुक्त रूप से अभ्यास करेंगी जबकि नौसेना समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और एमेफिबियस यानी जल-थल दोनों स्थानों पर उतरने की क्षमता का प्रदर्शन करेगी। यह अभ्यास पश्चिमी तट के निकट सौराष्ट्र और कच्छ के क्षेत्रों में भी संचालित किया जाएगा जिससे यह स्पष्ट संदेश दिया जा सके कि भारत किसी भी संभावित खतरे के लिए पूरी तरह से तैयार है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ‘त्रिशूल’ केवल एक नियमित सैन्य अभ्यास नहीं बल्कि भारत की बदलती रक्षा नीति का प्रतीक है जिसमें तीनों सेनाओं की संयुक्त कार्यप्रणाली (Jointness) को मजबूती देने पर बल दिया जा रहा है। यह अभ्यास ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना को भी दर्शाता है क्योंकि इसमें अधिकांश हथियार प्रणालियाँ, संचार तंत्र और तकनीक स्वदेशी होंगी। साइबर युद्ध, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, खुफिया-सर्विलेंस और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित संचालन का भी परीक्षण किया जाएगा।

इस अभ्यास के प्रारंभ से पहले पाकिस्तान ने अपने मध्य और दक्षिणी वायुक्षेत्र में 28 और 29 अक्टूबर के लिए हवाई मार्गों पर प्रतिबंध लगाया है। विशेषज्ञ इसे भारत के अभ्यास के प्रति उसकी सतर्क प्रतिक्रिया के रूप में देख रहे हैं। दोनों देशों की सीमाओं पर हाल के महीनों में गतिविधियों में वृद्धि को देखते हुए यह अभ्यास रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। अमेरिका, फ्रांस और रूस जैसे देश भी इस अभ्यास की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं क्योंकि यह दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना, त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली की क्षमता को परखना और जमीनी, समुद्री व हवाई क्षेत्र में एक साथ आक्रमण व रक्षा की स्थिति में सामंजस्य स्थापित करना है। भारतीय सेनाएँ इस दौरान आधुनिक हथियारों, रॉकेट आर्टिलरी, मिसाइल सिस्टम, सटीक लक्ष्यभेदी ड्रोन और कमांड एंड कंट्रोल नेटवर्क का उपयोग करेंगी। कुल मिलाकर ‘त्रिशूल’ अभ्यास भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक समझ और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की दिशा को स्पष्ट करता है। यह संदेश देता है कि भारत शांति का पक्षधर तो है, लेकिन अपनी संप्रभुता और सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर परिस्थिति में सक्षम और तैयार है। जब भूमि, समुद्र और आकाश तीनों पर एक साथ ‘त्रिशूल’ की नोक उठती है, तो यह केवल शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि राष्ट्रीय आत्मविश्वास का प्रतीक बन जाती है।

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