कोरबा, छत्तीसगढ़। जिले में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। वन विभाग के निरंतर प्रयासों के बावजूद जंगली हाथियों का कहर ग्रामीण इलाकों में जारी है। बीती रात कोरबा वनमंडल में सक्रिय दो दंतैल हाथी धरमजयगढ़ वनमंडल की सीमा में लौट गए हैं, लेकिन इसके बावजूद इलाके में अभी भी 59 हाथियों का दल तीन अलग-अलग झुंडों में सक्रिय है, जो लगातार किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।जानकारी के अनुसार, ये सभी हाथी वर्तमान में करतला वन परिक्षेत्र में घूम रहे हैं। हाथियों के झुंडों ने अब तक 9 गांवों के करीब 54 किसानों की धान की फसलों को रौंदकर भारी नुकसान पहुंचाया है। स्थानीय ग्रामीणों में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है, वहीं वन विभाग की टीमें लगातार रात-दिन क्षेत्र में गश्त कर रही हैं ताकि किसी भी प्रकार की जनहानि न हो।
ग्राम कोटमेर में 8 हाथियों का एक झुंड सक्रिय है जिसने यहां के 6 किसानों की फसलों को पूरी तरह रौंद डाला है। ग्रामीणों के अनुसार यह झुंड रात के अंधेरे में कोरबा रेंज से निकलकर गांव की ओर पहुंचा और खेतों में लगे धान को खाकर व नष्ट कर चला गया। वहीं दूसरा झुंड नोनदरहा क्षेत्र में देखा गया है जिसमें करीब 20 हाथी शामिल हैं। इन हाथियों ने नोनदरहा के साथ ही जोगीपाली और बोतली गांवों के कुल 9 किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा कोटमेर के आसपास तीसरा झुंड 30 हाथियों का है जो खेतों और जंगलों के बीच लगातार मूवमेंट कर रहा है। शाम होते ही यह झुंड भोजन की तलाश में गांवों की ओर निकल आता है और सुबह होने से पहले जंगलों की ओर लौट जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि फसल कटाई का समय नजदीक आने के कारण हाथियों की गतिविधि और भी बढ़ गई है।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सभी तीनों झुंडों की लगातार निगरानी की जा रही है। टीमों को मौके पर तैनात किया गया है, और ग्रामीणों को सतर्क रहने तथा रात के समय खेतों की ओर न जाने की सलाह दी गई है। हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए ड्रोन सर्विलांस और गश्ती दलों को भी सक्रिय किया गया है। हाथियों के इस लगातार बढ़ते उत्पात ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। किसानों का कहना है कि यदि समय रहते हाथियों को नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में फसलें पूरी तरह बर्बाद हो सकती हैं। प्रशासन ने नुकसान का सर्वे कराने और प्रभावित किसानों को मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

