Saturday, April 19, 2025
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वीर शिरोमणि राणा पुंजा भील की मूर्ति का हुआ भव्य स्थापना समारोह कार्यक्रम टुकड़े टुकड़े में बटकर नही एकजुट होकर लड़ने का किया गया आव्हान

झाबुआ :- झाबुआ जिले के बामनिया में आदिवासी समाज, जयस, आदिवासी परिवार के द्वारा आदिवासी क्रांतिकारी वीर शिरोमणि राणा पूंजा भील की मूर्ति स्थापना की गई। इससे पहले मैला ग्राउड स्थित मंडी प्रांगण में सभा का आयोजन हुआ। सभा में रतलाम, धार, अलीराजपुर, इंदौर, राजस्थान सहित आसपास इलाके से बड़ी संख्या में समाज के युवा उपस्थित हुए। सर्वप्रथम कार्यक्रम कि शुरूआत आदिवासी क्रांतिकारियों बिरसा मुंडा, टंट्या भील, राणा पूंजा भील, संविधान निमार्ता डॉ बाबासाहेब, जय पाल सिंह मुंडा, रानी दुर्गावती, मामा बालेश्वर दयाल आदि के चित्रों पर माल्यार्पण कर किया गया। जुलूस भी निकाला जिसके पश्चात वक्ताओं ने संबोधित किया।

महेंद्र सिंह कन्नौज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमें संघर्ष करते हुए हमारे अधिकार मांगने का समय नहीं है छीनने का समय है और टुकड़े टुकड़े में बटकर नही एकजुट होकर लड़ने का आव्हान किया और हमारे अधिकारों के लिए हमें डरना नहीं लड़ना पड़ेगा।
राजस्थान से आए आधुनिक बिरसा नाम से पहचाने जाने वाले भंवरलाल । परमार ने सभा को संबोधित करते हुए समाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इनके अलावा कांतिभाई आदिवासी राजस्थान, डॉ अभय ओहरी रतलाम, नारायण निनामा, लोकेश मुजाल्दा कुक्षी, डॉ आनंद राय इंदौर, कविता भगोरा रतलाम, रेखा निनामा, सुमित्रा मैडा मेघनगर, रामचंद्र भगोरा रतलाम, निवेश अलावा, लक्ष्मण सिंह डिंडोर, जगदीश इंडोर उदयपुर ध्यान वीर डामोर रतलाम, कैरम जमरा अलीराजपुर, ईश्वर लाल गरवाल, धर्मेंद्र डामर, विजयगामड़ आदिवक्ताओं ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन सचिन गामड़, कांतिलाल गरवाल, दशरथ बारिया ने किया तथा कार्यक्रम के अंतिम में आभार व्यक्त कपिल डामर ने किया।

बामनिया में आयोजित पूँजाभील गाता स्थापना एवं सामाजिक समारोह अभूतपूर्व और एतिहासिक रहा। जिसमें मध्यप्रदेश सहित राजस्थान से भी वतागण उपस्थित हुए। सभी वक्ताओं ने अपने वक्तव्य में सामाजिक समरसता के साथ अपने आदिवासी समुदाय के सर्वांगीण विकास के पहलुओं पर अपनी बात रखी। हमारे समुदाय के संवैधानिक हक्क अधिकारों कि प्राप्ति के लिऐ शिक्षा से समाज का व्यापक जुड़ाव हो ताकि भावी पीढ़ी शिक्षित होकर अपने संवैधानिक अधिकारों कि प्राप्ति के लिऐ काबिल और सजग हो सके साथ ही सामाजिक जनजागरण के द्वारा सामाजिक एकीकरण एवं सांस्कृतिक शुद्धिकरण का आह्वान भी किया और कहा कि ऐतिहासिक महापुरुषों कि प्रतिमाओं से समाज की भावी पीढ़ी को अपना इतिहास ज्ञात हो सके, राष्ट्र सेवा की प्रेरणा प्राप्त हो सके, इसके लिऐ क्षेत्र के अन्य स्थानों पर भी ऐतिहासिक महापुरुषों कि प्रतिमाएँ ( माता स्थापित करने के लिऐ समाज को आगे आना चाहिए।
सभा को प्रमुख रूप से राजस्थान के भंवरलाल परमार, राजस्थान से कांतिलाल रोत, मध्य प्रदेश के जयस प्रवक्ता महेंद्र कन्नौज, जयस केराष्ट्रीय प्रभारी लोकेश मुझालदे, मध्य प्रदेश जयस संरक्षक व आकास के प्रांतीय सचिव लक्ष्मण डिंडोर, रतलाम जयस संरक्षक डॉ अभय जी ओहरी, भीमा खोखर, डॉ आनंद राय, नारायण निनामा, कमलेश्वर डोडियार, अजाक्स रतलाम के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर लश्करी, आकास जिला अध्यक्ष रतलाम रामचंद्र भगोरा, मामाजी के अनुवाई भैरू सिंह डामोर बाजना, नंदलाल गामह भूतपूर्व सरपंच ग्रामनिया, राजस्थान से बहन मायाजी कलासुआ, बहन रेखा निनामा जिला पंचायत सदस्य, बहन कविता भगोरा पूर्व जिला पंचायत सदस्य, बहन सुमित्रा मेड़ा, डॉ कमल डामोर, राजेन्द्र गामड़ सरदारपुर जिलाचक्षय जयस, केरम जमरा आदिवासी एकता परिषद मध्य प्रदेश के युवा अध्यक्ष व राणा पुजा भील की जन्मस्थली पानरवा से आयें जयदीप पाौर, कवि योगेश धाकरे ने प्रमुख रूप संबोधित किया। इसके साथ ही राजस्थान के पोपटलाल खोखरिया, चंदु मेड़ा, धयानवीर डामोर, विजय माछर, रूपसिंह रावत, राजेन्द्र मेड़ा, प्रकाश डामोर जयस जिला अध्यक्ष झाबुआ, ईश्यर गरवाल युवा नेता, संदीप वसुनिया सामाजिक कार्यकर्ता, धर्मेंद्र डामर आदि सामाजिक कार्यकर्ता ने संबोधित किया।
प्रोग्राम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले समिति के अध्यक्ष कपिल डामर, जयस जिला प्रभारी कांतिलाल गरवाल, जयस ब्लॉक अध्क्षय विजयगामड़, सचिनगामड़, दशरथ बारिया, ईश्वर गरवाल, धर्मेंद्र डामर, सुरेश भाभर, संदीप वसुनिया, थावरसिंह सोलंकी, रोशन गरवाल, तोलसिंह डामर, धनराज भाभर ( बिरसा मेडिकल बामनिया), कैलाश वसुनिया, मुकेश भाभर, परमवीर मुनिया, राजेन्द्र डोडियार, गबरू सिंह गरवाल, नंदलाल गामड़ा भूतपूर्व सरपंच, बामनिया), प्रकाश डामर जयस जिला अध्यक्ष झाबुआ आदि साथियों का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन सचिन गामड़, कांतिलाल गरवाल, दशरथ बारिया व आभार कपिल डामर ओर मुकेश भाभर ने माना सभा समाप्ति के पश्चात डोल व डीजे के साथ रैली के रूप में रतलाम रोड़ मूर्ति स्थल पहुंचे जहा पर वीर शिरोमणि राणा पुजा भील की मूर्ति की आदिवासी परंपरा अनुसार पुजा अर्चना कर तथामाल्यार्पण कर अनावरण किया गया व कार्यक्रम का समापन हुआ।

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