एमसीबी, छत्तीसगढ़। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत जहां एक ओर व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए डोर-टू-डोर संपर्क और सामुदायिक सहभागिता पर बल दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर स्वच्छता को आजीविका व आय सृजन का सशक्त माध्यम भी बनाया जा रहा है। इसी नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले की ग्राम पंचायत चैनपुर में कलेक्ट्रेट भवन के समीप निर्मित दिव्यांग समावेशी सामुदायिक स्वच्छता परिसर है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत इस सामुदायिक स्वच्छता परिसर की स्वीकृति वर्ष 2020-21 में दी गई थी जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर यात्रियों को बेहतर स्वच्छता सुविधा उपलब्ध कराना, दिव्यांगजन को अनुकूल एवं सुरक्षित शौचालय व्यवस्था प्रदान करना और स्वच्छता संसाधनों को livelihood model के रूप में विकसित करना था। परिसर में शौचालय के साथ तीन दुकानों का निर्माण किया गया जिन्हें खुली निविदा प्रक्रिया के माध्यम से आबंटित किया गया और वर्तमान में “मायरा कैन्टीन” का संचालन श्री शिरीष नायडू द्वारा किया जा रहा है। यह कैंटीन कलेक्ट्रेट कार्यालय आने वाले कर्मचारियों व आगंतुकों के साथ हाईवे पर रुकने वाले यात्रियों को स्वच्छ, शुद्ध और सात्विक चाय, नाश्ता व भोजन उपलब्ध करा रही है। इस नवाचार से दो तरफा लाभ मिल रहा है — शासन/कलेक्ट्रेट को दुकानों से 15,000 रुपये प्रति माह अर्थात 1.80 लाख रुपये वार्षिक अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो रहा है और दूसरी ओर कैंटीन संचालक के लिए स्थायी आजीविका का सशक्त आधार तैयार हुआ है। शिरीष नायडू के अनुसार प्रतिदिन 70 से 100 ग्राहकों की आमद से लगभग 3,500 से 4,000 रुपये की कमाई होती है, जो मासिक रूप से लगभग 1.20 लाख रुपये तक पहुंच जाती है।
यह मॉडल स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता का प्रेरक उदाहरण बन चुका है। स्वच्छता, पोषण और आजीविका का समन्वय अब चैनपुर में वास्तविक धरातल पर मूर्त रूप ले चुका है जहां दिव्यांग समावेशी सामुदायिक शौचालय, स्वच्छ परिसर, पौष्टिक भोजन और आय सृजन मिलकर समग्र विकास का मॉडल स्थापित कर रहे हैं। यह पहल साबित करती है कि स्वच्छता केवल आदत नहीं बल्कि अवसर, आजीविका और समृद्धि का माध्यम भी बन सकती है।

