Saturday, January 11, 2025
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कैक्टस पौधा रोपण और इसके आर्थिक उपयोग पर आधारित इकोसिस्टम को अस्तित्व में लाने के लिए इस अवसर का उपयोग करें: श्री गिरिराज सिंह

नई दिल्ली : ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कल वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नई दिल्ली में “वाटरशेड परियोजनाओं में हरित अर्थव्यवस्था के लिए कैक्टस” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित किया। कैक्टस की खेती को प्रोत्साहन देने के हिस्से के रूप में, भूमि संसाधन विभाग ने “वाटरशेड परियोजनाओं में हरित अर्थव्यवस्था के लिए कैक्टस” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया था।

केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने सभी प्रतिनिधियों से कैक्टस पौधा रोपण और इसके आर्थिक उपयोग पर आधारित इकोसिस्टम को अस्तित्व में लाने के लिए इस अवसर का उपयोग करने की अपील की।

भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) के सचिव, श्री अजय तिर्की ने किसानों की आय बढ़ाने और इकोलोजिकल मुद्दों के समाधान के लिए इस तरह के एक अभिनव विचार की अवधारणा के लिए केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह को धन्यवाद दिया। उन्होंने राष्ट्रीय कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए वाटरशेड डिवीजन के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने राज्यों को समयबद्ध तरीके से सभी हितधारकों को शामिल करते हुए राज्य स्तर पर एक समान कार्यशाला आयोजित करने का सुझाव दिया।

कार्यशाला ने कैक्टस की खेती और इसके आर्थिक उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज की सुविधा प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों, उद्यमियों, नवप्रवर्तकों, थिंक-टैंक के प्रतिनिधियों और सरकार के विभिन्न विचारों को एक साथ लाने में सहायता की।

भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) एक केंद्र प्रायोजित योजना अर्थात् प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) के वाटरशेड विकास घटक को कार्यान्वित कर रहा है। योजना का मुख्य उद्देश्य देश में वर्षा आधारित/उबड़-खाबड़ भूमि का सतत विकास करना है। डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई का दायरा विभिन्न प्रकार के उपयुक्त पौधा रोपण की अनुमति देता है, जो वर्षा आधारित/उबड़-खाबड़ भूमि की बहाली में सहायता करता है। कैक्टस सबसे कठोर पौधों की प्रजाति है जिसके विकास और अस्तित्व के लिए बहुत ही कम वर्षा की आवश्यकता होती है। इसके अनुसार, भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) देश के व्यापक लाभ और किसानों की आय बढ़ाने के लिए ईंधन, उर्वरक, चारा, चमड़ा, भोजन आदि उद्देश्यों के लिए लाभ प्राप्त करने के लिए वर्षा आधारित / निम्नीकृत भूमि पर कैक्टस की खेती करने के लिए विभिन्न विकल्पों की खोज कर रहा है।

इस अवसर पर, भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) ने डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 के अंतर्गत स्पाइनलेस कैक्टस की खेती और इसके आर्थिक उपयोग को प्रोत्साहन देने में सहयोग पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), शुष्क क्षेत्रों में कृषि अनुसंधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (आईसीएआरडीए) और राजस्थान राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

वर्तमान में, देश में कैक्टस की खेती चारे के उद्देश्य तक ही सीमित है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कैक्टस के विभिन्न अन्य आर्थिक और इकोलोजिकल उपयोगों के लिए जागरूकता, प्रचार और गुणवत्तापूर्ण पौधा रोपण सामग्री की उपलब्धता, आदर्श इकोसिस्टम और विपणन मार्गों पर प्रथाओं के पैकेज की सुविधा के माध्यम से इसके प्रचार की आवश्यकता है। कार्यशाला ने विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता लाने और उन्हें एक-दूसरे से जोड़ने में काफी सहायता की है।

भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) ने पहले ही ‘डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई के अंतर्गत वाटरशेड परियोजनाओं में स्पाइनलेस कैक्टस की खेती/पौधारोपण को बढ़ावा देने’ के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं और बायो-गैस के उत्पादन और अन्य उपयोग के लिए कैक्टस की खेती के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को प्रसारित कर दिया है। कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों को दिशानिर्देशों की एक प्रति भी प्रदान की गई।

राष्ट्रीय अंतःविषय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईआईएसटी), तिरुवनंतपुरम, केरल ने कार्यशाला स्थल पर प्रतिनिधियों के लाभ के लिए कैक्टस चमड़े से तैयार विभिन्न वस्तुओं जैसे जूते, बैग, जैकेट, चप्पल आदि का प्रदर्शन किया। सभी प्रतिनिधियों के लिए कैक्टस फल से तैयार जूस और कैक्टस सलाद भी परोसा गया।

कार्यशाला का उद्देश्य केंद्र सरकार, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, उद्योग, विशेषज्ञों जैसे सभी हितधारकों को एक साथ लाना और इसके विभिन्न आर्थिक उपयोगों का लाभ लेने के लिए शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों और कैक्टस-आधारित उद्योगों में कैक्टस की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सहयोग करना और एक रूपरेखा तैयार करना है।

कैक्टस आधारित सीबीजी पौधों को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए एमओपीएनजी की एसएटीएटी, सीबीओ योजनाओं का उपयोग करने के लिए एक साथ लाने दृष्टिकोण पर भी बल दिया गया। प्राकृतिक गैस में सीबीजी के अनिवार्य मिश्रण के बारे में 25 नवंबर 2023 को घोषित भारत सरकार की नीति से देश में सीबीजी के उत्पादन और खपत को भी प्रोत्साहन मिलेगा। राज्य सरकारों ने इस बात पर भी बल दिया कि बड़े पैमाने पर कैक्टस वृक्षारोपण के लिए एमजीएनआरईजीएस योजना निधि को प्रभावी ढंग से एकत्रित किया जा सकता है।

15 राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 200 प्रतिनिधि, पेट्रोलियम और प्रकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी), एमओए&एफ़डबल्यू, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ़&सीसी), डीओआरडी, खाद्य प्रसंस्करण जैसे केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, संबंधित उद्योग प्रतिनिधि और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), आईजीएफ़आरए, आईसीएआरडीए जैसे अन्य प्रतिष्ठित अनुसंधान संगठन/संस्थान, सीएज़ेडआरआई, एनआरएए ने कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला में भूमि संसाधन विभाग के सचिव, संयुक्त सचिव (वाटरशेड प्रबंधन) और वाटरशेड प्रभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। प्रतिनिधियों ने प्रस्तुतियाँ दीं और कैक्टस की खेती और इसके आर्थिक और पारिस्थितिक उपयोग जैसे संपीड़ित बायो-गैस, जैव उर्वरक, जैव चमड़ा, चारा, भोजन, फार्मास्युटिकल लाभ, कार्बन क्रेडिट आदि के उत्पादन के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। प्रतिभागी राज्यों ने भी अपने अपने राज्यों में कैक्टस की खेती के बारे में अपनी प्रारंभिक तैयारी प्रस्तुत की। कार्यशाला के दौरान उपस्थित उद्योग प्रतिनिधियों ने भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) के प्रयासों की सराहना की और कैक्टस की खेती और कैक्टस आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने में गहरी रुचि दिखाई।

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