- जामुन फल के संग्राहकों को उचित मूल्य दिलाने वन विभाग की प्रभावी पहल
- वनधन केन्द्र दानीकुण्डी में 321.80 क्विंटल जामुन फल संग्रहण कर 12 टन पल्प का किया निर्माण
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही : मरवाही वनमण्डल के अंतर्गत आने वाले वन क्षेत्रों में नैसर्गिक रूप से जामुन फल की उपज भारी मात्रा प्रतिवर्ष होती है। छत्तीसगढ़ में पाये जाने वाले जामुन फल में सबसे अच्छी गुणवत्ता का जामुन जिले में उपलब्ध है। इस वर्ष जिला वनोपज सहकारी यूनियन मर्यादित मरवाही द्वारा 177.22 क्विटल जामुन फल (कच्चा) का संग्रहण किया गया। इसकी कुल राशि 4 लाख 7 हजार 606 रूपए का भुगतान संग्राहकों के खाते में किया गया। वनपरिक्षेत्र मरवाही के प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति दानीकुण्डी में सुमेर स्व-सहायता समूह मटियाडांड, उन्नति स्व-सहायता समूह बड़काटोला, सोनांचल स्व-सहायता समूह भर्रीडांड के माध्यम से और प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति कोटमी में मां महामाया स्व-सहायता समूह मड़ई के माध्यम से संग्राहकों द्वारा जामुन फल का संग्रहण किया गया।
वनमण्डलाधिकारी श्री शशि कुमार ने बताया कि जिला वनोपज सहकारी यूनियन मर्यादित मरवाही के अंतर्गत संचालित वनधन केन्द्र दानीकुण्डी में इस वर्ष 18 ग्राम पंचायतों के 518 संग्राहकों से 321.80 क्विंटल जामुन फल संग्रहण कर 12 टन पल्प का निर्माण किया गया। इस पल्प से जामुन आइसक्रीम भी बनाकर विक्रय किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जामुन का फिल्ड में ही ब्रिर्क्स माप मशीन से लेकर 24 घंटे के अंदर परिवहन कर बलौदाबाजार के वरीडा प्रोसेसिंग सेंटर भेज दिया जाता है। प्रोसेसिंग सेंटर पर जामुन गुठली को अलग कर उसके पल्प से जामुन जूस का निर्माण कर छत्तीसगढ़ हर्बल के नाम से समस्त संजीवनी केन्द्रों और सी-मार्ट के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है। उन्होने बताया के मरवाही परिक्षेत्र एवं पेण्ड्रा परिक्षेत्र में पाये जाने वाले जामुन फल में सुगर कंटेट 18 तक पाया जाता है, जिस जामुन फल में शुगर कंटेट 10 से ऊपर है वहीं जामुन फल जूस और पल्प बनाने के लिए उपयुक्त होता है।