लेखक जितेन्द्र नेताम (गरियाबंद)
३६गढ़ म हाल,
पेसा कानून के।
जइसन साग,
बिन नून के।
ग्राम सभा ताक़त,
बिन ख़ून के।
स्वारथ निकाल लेथें,
दे दना दन धून के।
बेदखली के फरमान,
पीरा होथे सुन के।
दुखिया ल मिले कइसे,
रोटी दू जून के।
खुरसी म बइठारेन,
जौन ल चुन के।
वहू दू आंसू रोवाथे,
हमला ख़ून के।
जंगल काटे सरकार,
आंखी मूंद के।
ससां काहा ले पाबे,
देख थोकिन गुन के।
झुन झुना जस धरादीस,
हमला बुन तुन के।
देखत हे तमाशा,
छानी म होरा भुन के
३६गढ़ म हाल,
पेसा कानून के।
जइसन साग,
बिन नून के ।।