लेखक जीतेन्द्र नेताम (गरियाबंद) मो. न. 93996 53973
न्याय की आवाज
इस दर्दनाक घटना का,
हम घोर निन्दा करते हैं।
न्याय ना दिला पाए तो,
खुद को शर्मिदा करते हैं।
भोजराम जैसे कितनों का,
यूं घर उजड़ता रहेगा।
ज्याति करने वालों का ,
होंसला बढ़ता रहेगा।।
भोजराम को न्याय दिलाने,
अपना जमीर जिंदा करते हैं।
इस दर्दनाक घटना का,
हम घोर निन्दा करते हैं।
न्याय ना दिला पाए तो,
खुद को शर्मिदा करते हैं।
कुंभकरण की नींद अगर,
ये समाज सोता रहेगा।
हत्या शोषण अत्याचार ,
ये तब तब होता रहेगा।।
खौफ जगा दो उनके भीतर,
जो जुर्रत आइंदा करते हैं।
इस दर्दनाक घटना का,
हम घोर निन्दा करते हैं।
न्याय ना दिला पाए तो,
खुद को शर्मिदा करते है ।।