बंगलूरू :- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम से ली गई चांद की सतह की ताजा तस्वीरें सोमवार को जारी की l चंद्रमा पर विक्रम को उतारने से दो दिन पहले लैंडिंग स्थल निर्धारित करते देखा जा सकता है। वहीं, चंद्रमा पर उतरने और मिशन के उपकरणों को लेकर भी इसरो ने रोचक जानकारियां दी ।
इसरो ने बताया कि यह चंद्रमा के अंदरूनी हिस्से की तस्वीरें हैं। इन्हें लैंडर में लगे लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (एलएचडीएसी) से लिया गया है। यह कैमरा सुरक्षित लैंडिंग स्थल की पहचान में मदद कर रहा है। सुरक्षित लैंडिंग स्थल का अर्थ है कि चंद्रमा की सतह पर ऐसा स्थान, जहां न बड़े पत्थर (बोल्डर) न हो और न गहरे गड्ढे, क्योंकि इनकी वजह से लैंडर को चंद्र सतह पर उतरने व गतिविधियों को अंजाम देने में मुश्किल हो सकती है। इसरो की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला के निदेशक डॉ. के राजीव के अनुसार, लैंडर को उतारने के दौरान यान को नियंत्रित ढंग से नीचे लाने, दिशा निर्धारित करने व धीमी गति से उतारने जैसी जटिल प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से हुआ चंद्रयान -3 का संपर्क
चांद की कक्षा में चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से संपर्क हुआ। इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है l इसरो ने लिखा, स्वागत है दोस्त, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संपर्क होना चंद्रयान- 3 मिशन के लिए अच्छी बात है। आर्बिटर 2 के डाटा और चंद्रयान 3 के डाटा की तुलना से चंद्रयान- 3 की सफल लैंडिंग में मदद मिलेगी।
इसरो की इंटरनल सिस्टम यूनिट के निदेशक ईएस पदमा कुमार ने बताया कि चंद्रयान- 3 चांद की 110 किमी गुणा 25 किमी परिधि में परिक्रमा कर रहा है। इसी बिंदु से यान चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया शुरू करेगा। यह प्रक्रिया बुधवार को शुरू होगी। इसमें 15 से 16 मिनट लगेंगे। इसे शाम 06:04 PM बजे उतारा जा सकता है।
अगर 23 को बाधा आई तो 27 अगस्त को होगी लैंडिंग
इसरो के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम देसाई ने बताया कि चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को 30 किमी की ऊंचाई से चांद पर उतारने की प्रक्रिया शुरू होगी। सभी सावधानियां बरती जा रही हैं। अगर ऐसे वक्त पर परिस्थितियां अनुकूल नहीं लगीं तो लैंडिंग को टालकर 27 अगस्त के लिए निर्धारित किया जाएगा । वहीं अगर कोई समस्या नजर नहीं आई, तो 23 अगस्त को ही लैंडर उतारा जाएगा।
देसाई ने कहा कि यान को 30 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतारने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह प्रक्रिया शुरू करने से 2 घंटे पहले सभी निर्देश लैंडिंग मॉड्यूल को भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस समय उन्हें चंद्रयान 3 को 23 अगस्त को ही चंद्र सतह पर उतारने में कोई मुश्किल नजर नहीं आ रही है, इसलिए उसी तारीख पर यान को उतारने का प्रयास होगा। 27 अगस्त को लैंडिंग के लिए भी सभी सावधानियां बरती जा रही हैं। सभी प्रणालियां भी तैयार रखी गई हैं।
देसाई ने बताया कि लैंडिंग शुरू करने पर वेग 1.68 किमी प्रति सेकंड रहेगा । यह बेहद तेज गति मानी जाती है शुरुआत में 1.68 किमी है। चंद्रमा का प्रति सेकंड का रहेगा वेग गुरुत्वाकर्षण भी उसे नीचे की ओर खींचेगा। इस वजह से यान के थ्रस्टर से रेट्रो-फायर ( यान को उसके बढ़ने की दिशा से विपरीत दिशा में धकेलने के लिए ) किए जाएंगे। इससे उसकी गति कम होती जाएगी। जब वह चंद्र की सतह की ओर बढ़ेगा तो उसे छूने तक धीरे- धीरे इंजन थ्रस्टर फायर से गति लगभग शून्य के करीब लाई जाएगी। इसके लिए लैंडर मॉड्यूल में 4 थ्रस्टर इंजन लगाए गए हैं।
लैंडिंग मॉड्यूल को उतारने के लिए कई चरण होंगे
पहला चरण :- इस चरण में यान की सतह से 30 किमी की दूरी को घटा कर 7.5 किमी पर लाया जाएगा।
दूसरा चरण :- इसमें सतह से दूरी 6.8 किमी तक लाई जाएगी। यान का वेग 350 मीटर प्रति सेकंड रह जाएगा।
तीसरा चरण :- यान 800 मीटर की ऊंचाई तक लाया जाएगा। दो स्टर इंजन उसे उतारेंगे। का वेग शून्य प्रतिशत सेकंड के बेहद करीब पहुंच जाएगा।
चौथा चरण :- सतह के 150 मीटर करीब तक पास लाया जाएगा। इसे वर्टिकल डिसेंट कहते हैं ।
पांचवां चरण :- यान में लगे सेंसर व कैमरा से मिल रहे। लाइव इनपुट को पहले से स्टोर रेफरेंस डाटा से मिलाया जाएगा। इस डाटा में इस जगह की 3,900 तस्वीरें भी हैं। अगर ऐसा लगा कि लैंडिंग की जगह अनुकूल नहीं है, तो यान थोड़ा दाईं ओर या बाईं ओर मुड़ेगा। इस चरण में यान चंद्र सतह के 60 मीटर तक करीब पहुंचाया जाएगा।
चरण छह :- यह लैंडिंग का आखिरी चरण है, इसमें लैंडर को सीधे चंद्र सतह पर उतार दिया जाएगा।