Sunday, August 24, 2025
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बैकुंठपुर में विश्व आदिवासी दिवस पर गुंजा गोंडवाना गोंडवाना राज्य की मांग, वहीं श्याम सिंह मरकाम ने सरकार को चेताया कहा “एक पेड़ मां का नाम, बाकी सब अडानी-अंबानी के नाम”

बैकुंठपुर,कोरिया/ विश्व आदिवासी मूलनिवासी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल आमसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेताओं ने जल-जंगल-जमीन, परंपरा और संविधानिक अधिकारों की रक्षा का बिगुल फूँका। मंच से गूँजी यह आवाज “एक पेड़ मां का नाम, बाकी सब अडानी-अंबानी के नाम” ने कार्यक्रम को संघर्ष और संकल्प का रूप दे दिया। गोंडवाना स्टूडेंट ऑफ इंडिया के कोरिया जिलाध्यक्ष सुनील आयम ने कहा कि आज जरूरत है लोगों को यह समझाने की कि विश्व आदिवासी मूलनिवासी दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि संघर्ष और पहचान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि परंपरा, रीति-रिवाज, भाषा और संस्कृति को संजोकर रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए 9 अगस्त से लगातार अलग-अलग जिलों और गाँवों में इस दिवस को मनाया जा रहा है और सरकार की जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जा रहा है।गोगपा संभागीय उपाध्यक्ष राजा गीतगार सिंह आयम ने कहा कि जिस दिन एससी, एसटी, ओबीसी और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय एकजुट हो जाएंगे, उसी दिन गोंडवाना सरकार बनेगी और शोषण-अत्याचार से मुक्ति मिलना तय है। गोगपा जिला महामंत्री इस्ताक अहमद ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं से लगातार वंचित किया जा रहा है। पेसा कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और ग्राम सभाओं को बेमानी बना दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण में हर विभाग में आम जनता का शोषण हो रहा है।

ग्राम सभाओं की अनदेखी कर, हसदेव अरण्य उजाड़े जा रहे

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के आईटी सेल प्रभारी शिवकुमार यादव ने कहा कि पुलिस और राजस्व प्रशासन आदिवासी जनता को पूरी तरह अनदेखा कर रहा है। सरगुजा संभाग के हसदेव अरण्य को उजाड़कर पूंजीपतियों को सौंपा जा रहा है, जो ग्राम सभाओं की अवमानना और आदिवासियों के साथ खुला अन्याय है। जिला पंचायत सदस्य सुषमा कोराम ने भी जल, जंगल और जमीन की मांग को लेकर जोरदार आवाज उठाई। वहीं राष्ट्रीय महासचिव श्याम सिंह मरकाम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बैनर तले निरंतर आंदोलन करते रहना है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विश्व आदिवासी दिवस पर बधाई देना भी उचित नहीं समझती। यही नहीं, डबल इंजन की सरकार का असली अभियान है,  “एक पेड़ मां का नाम, बाकी सब अडानी-अंबानी के नाम।” सरगुजा, रायगढ़ और बस्तर सहित कई इलाकों में जल-जंगल-जमीन को पूंजीपतियों को सौंपना इसी नीति का हिस्सा है।मरकाम ने गोंडवाना राज्य और भाषाई पहचान की उठाई मांग

श्याम सिंह मरकाम ने सवाल उठाया कि जब कन्नड़ बोलने वालों को कर्नाटक, तमिल बोलने वालों को तमिलनाडु, तेलुगू को आंध्रप्रदेश और तेलंगाना, मलयालम को केरल, मराठी को महाराष्ट्र और पंजाबी को पंजाब मिला, तो गोंडी भाषा बोलने वालों को गोंडवाना राज्य क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि गोंडी, कुड़ुख, संथाली, भीली सहित आदिवासी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आंदोलन जारी रहेगा और आने वाले समय में गोंडवाना प्रदेश की मांग को लेकर देशव्यापी अभियान चलाया जाएगा।इस मौके पर राष्ट्रीय महामंत्री संतोष चंद्राकर, डॉ. एल.एस. उदय, प्रदेश संगठन महामंत्री निलेश पाण्डेय, जीएसयू जिलाध्यक्ष सुनील आयम, महंत मरकाम, गोपाल कमरो, गोरेलाल कोर्राम सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन संजय कुर्रे ने किया और आभार व्यक्त जिलाध्यक्ष राजाराम जांता ने किया।

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