एमसीबी, छत्तीसगढ़/ देशभर में स्वच्छता को जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ ’’स्वच्छ भारत मिशन’’ आज केवल एक अभियान नहीं बल्कि भारत के सामाजिक पुनरुत्थान का प्रतीक बन चुका है। 2 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिवस पर प्रारंभ हुआ यह मिशन आज हर नागरिक के जीवन में गहराई से जुड़ गया है। स्वच्छ भारत का सपना अब मात्र एक नारा नहीं, बल्कि व्यवहार में उतर चुका है। छत्तीसगढ़ राज्य, जो स्वच्छता के मानकों को लेकर हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। विशेषकर मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला ने पिछले 18 महीनों में स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन में पूरे प्रदेश में अग्रणी भूमिका निभाई है।ODF प्लस मॉडल से ग्राम पंचायत की गांव बना रही नई पहचान
जिले के कुल 391 ग्रामों में से 357 ग्रामों को ODF प्लस मॉडल ग्राम पंचायत की श्रेणी में लाया जाना एक अद्वितीय उपलब्धि है। इसका आशय यह है कि इन गांवों ने न केवल खुले में शौच से मुक्ति प्राप्त की है, बल्कि उन्होंने स्वच्छता को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना लिया है। और सबसे अहम बात यह है कि इनमें से 347 ग्रामों का इंटर डिस्ट्रिक्ट फर्स्ट वेरीफिकेशन कार्य भी पूर्ण हो चुका है। यह प्रमाणिकता इस बात की पुष्टि करती है कि यह कार्य महज कागजों में नहीं, बल्कि धरातल पर सार्थक रूप से हुआ है। यह सफलता केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि उस सामूहिक चेतना की है जिसने स्वच्छता को अपने जीवन में अपनाया है।
ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन से पर्यावरण के प्रति दिख रही गंभीरता
स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का एक प्रमुख आधार ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन है। जिले के सभी 357 ODF प्लस ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की योजनाएं सुचारू रूप से संचालित की जा रही हैं। यह योजनाएं केवल कचरे के निस्तारण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें कचरे के पुनः उपयोग, जैविक खाद निर्माण और जल नालियों के सुधार जैसे घटक शामिल हैं। समुदाय की सक्रिय सहभागिता के माध्यम से स्वच्छता को व्यवहार में उतारा गया है। स्वच्छता दीवार लेखन, स्वच्छता शपथ, नाटक, रैलियों और बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिताओं के माध्यम से ग्रामीण समाज में जागरूकता बढ़ाई गई है।सामुदायिक शौचालय से बना सम्मान और सुविधा दोनों का प्रतीक
जिले में अब तक कुल 165 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है, जबकि 29 शौचालय प्रगति पर हैं। इन शौचालयों में न केवल स्वच्छता के लिए आवश्यक आधारभूत संरचनाएं मौजूद हैं, बल्कि बिजली और जल की सतत आपूर्ति भी सुनिश्चित की गई है। हर सामुदायिक शौचालय के साथ एक-एक दुकान का निर्माण कर उसे महिला स्व सहायता समूह को सौंपा गया है। इससे न केवल शौचालयों की देखरेख बेहतर हो रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार का भी अवसर प्राप्त हो रहा है। यह एक ऐसा मॉडल है जो स्वच्छता और महिला सशक्तिकरण दोनों को एक साथ बढ़ावा दे रहा है।
व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय से घर-घर की बढ़ी गरिमा
स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले में कुल 2000 व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया, जिसमें से अब तक 1275 शौचालय प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अन्य स्रोतों के माध्यम से स्वीकृत किए जा चुके हैं। इस दिशा में 104 हितग्राहियों को 12,48,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से उनके बैंक खातों में दी गई है। यह DBT प्रणाली प्रधानमंत्री मोदी की उस सोच को चरितार्थ करती है जिसमें पारदर्शिता और सीधे लाभ पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। पारिवारिक शौचालय केवल एक संरचना नहीं, बल्कि ग्रामीण परिवारों की गरिमा, स्वाभिमान और सुरक्षा का प्रतीक बन चुका है।
प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट से प्रदूषण के विरुद्ध एक नया युद्ध
प्लास्टिक अपशिष्ट आज के समय की सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। इस संकट से निपटने के लिए जिले में तीन अत्याधुनिक प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना की गई है। ये इकाइयाँ जिले की परसगढ़ी, भरतपुर और पौड़ीडीह में स्थित हैं। इनमें से परसगढ़ी और भरतपुर की इकाइयों का संचालन महिला स्व सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है, जो कि इस दिशा में एक अत्यंत प्रगतिशील कदम है। इन यूनिटों में प्लास्टिक कचरे का पृथक्करण, पुनः उपयोग और पुनः चक्रण की प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही जिले में दो एफएसटीपी ¼Faecal Sludge Treatment Plant½ की स्वीकृति दी गई है। एक मनेन्द्रगढ़ स्थित चैनपुर में पूर्ण हो चुका है, जबकि दूसरा भरतपुर ब्लॉक में स्वीकृत है, जो अभी प्रगति पर है और अगस्त 2025 तक पूर्ण होने की संभावना है। एफएसटीपी के माध्यम से मलजल का वैज्ञानिक और सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे जल स्रोतों की शुद्धता और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलेगा।
नेतृत्व की दृढ़ता और नीति की सफलता से बन रही जिले की नई पहचान
इन सभी उपलब्धियों के मूल नेतृत्वकर्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जब स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा की थी, तब उन्होंने इसे एक सामाजिक क्रांति के रूप में देखा था। आज वह सपना साकार होता दिख रहा है। वहीं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य में इस अभियान को जिस गंभीरता और पारदर्शिता से लागू किया है, वह अभूतपूर्व है। उनका ग्रामोन्मुखी दृष्टिकोण, योजनाओं की निगरानी के लिए अपनाई गई तकनीकी रणनीतियाँ और स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने की नीति ने जिले को स्वच्छता के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है। एमसीबी जिले की उपलब्धियाँ दर्शाती हैं कि यदि नेतृत्व दृढ़ हो, नीति स्पष्ट हो और जनता जागरूक हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में यह जिला न केवल स्वच्छता में बल्कि सामाजिक जागरूकता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण में भी मिसाल बन चुका है।