Monday, August 25, 2025
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम 2025 प्रारंभ: 20 राज्यों के 80 प्रतिभागियों के साथ मानवाधिकारों की नई आगाज

नई दिल्ली/ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का चार सप्ताह का ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम-2025 आज आयोग के नई दिल्ली स्थित परिसर में विधिवत रूप से आरंभ हुआ। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम का उद्देश्य विश्वविद्यालय-स्तर के छात्रों में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता, संवेदनशीलता और सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना है। इस वर्ष 1,468 आवेदकों में से चयनित सिर्फ 80 प्रतिभागी, देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 42 विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से हैं, जो कानून, सामाजिक विज्ञान, पत्रकारिता, मनोविज्ञान, सामाजिक कार्य, जेंडर स्टडीज, डिजिटल मानविकी और अंतरराष्ट्रीय संबंध जैसे विविध विषयों का प्रतिनिधित्व करते हैं।कार्यक्रम का उद्घाटन आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी. रामसुब्रमण्यम ने किया। उन्होंने भारत की विविधता में एकता की भावना को रेखांकित करते हुए प्रशिक्षुओं की विविध पृष्ठभूमियों को इस भावना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि – “एक बालक मां की ममता, पिता के निर्देशन, भाई-बहनों की अंतर्दृष्टि और साथियों की सहभागिता से संवरता है। इसी प्रकार, जीवन का उद्देश्य तभी पूर्ण होता है जब हम ज्ञान को न्याय और सहानुभूति के साथ जोड़ते हैं।” इस अवसर पर आयोग के महासचिव श्री भरत लाल ने भी युवाओं की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि – “मानवाधिकारों की रक्षा के लिए युवाओं में संवेदनशीलता, करुणा और उत्तरदायित्व का भाव जाग्रत होना आवश्यक है। सभ्यतागत मूल्यों से प्रेरित होकर जब युवा अधिकारों के साथ कर्तव्यों को संतुलित करते हैं, तब एक समावेशी एवं न्यायपूर्ण समाज का निर्माण होता है।कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार ने बताया कि इस इंटर्नशिप में इंटरैक्टिव सत्र, समूह शोध परियोजनाएं, पुस्तक समीक्षाएं, भाषण प्रतियोगिताएं तथा एनजीओ, पुलिस थानों, जेलों, आश्रय गृहों एवं अन्य आयोगों के क्षेत्रीय दौरे शामिल हैं। ये गतिविधियां प्रशिक्षुओं को जमीनी स्तर पर मानवाधिकारों के कार्यान्वयन की व्यापक समझ प्रदान करेंगी। कार्यक्रम के समापन पर एनएचआरसी के निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल वीरेंद्र सिंह ने सभी प्रतिभागियों, अधिकारियों और अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। यह ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप न केवल मानवाधिकारों की समझ को सशक्त करेगी, बल्कि भावी नेतृत्वकर्ताओं में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना भी विकसित करेगी। 

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