नागपुर -: गढ़चिरौली के एक सुदूर गांव में बचपन में एक समय के भोजन के लिए संघर्ष करने से लेकर अमेरिका में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक बनने तक, भास्कर हलामी का जीवन इस बात का एक उदाहरण है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
कुरखेड़ा तहसील के चिरचडी गांव में एक ट्राइबल समुदाय में पले-बढ़े हलामी अब अमेरिका के मेरीलैंड में बायोफार्मास्युटिकल कंपनी सिरनामिक्स इंक के अनुसंधान और विकास खंड में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। कंपनी आनुवंशिक दवाओं में अनुसंधान करती है और हलामी आरएनए निर्माण और संश्लेषण का काम देखते हैं।
हलामी की एक सफल वैज्ञानिक बनने की यात्रा बाधाओं से भरी रही है और उन्होंने कई जगह पहला स्थान हासिल किया है। वह विज्ञान स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्री और पीएचडी करने वाले चिरचडी गांव के पहले व्यक्ति हैं।
हलामी ने कहा, ‘‘हम महुआ के फूल को पकाकर खाते थे, जो खाने और पचाने में आसान नहीं होते थे। हम परसोद (जंगली चावल) इकट्ठा करते थे और पेट भरने के लिए इस चावल के आटे को पानी में पकाते थे। यह सिर्फ हमारी बात नहीं थी, बल्कि गांव के 90 प्रतिशत लोगों के लिए जीने का यही जरिया होता था।’’
चिरचडी 400 से 500 परिवारों का गांव है। हलामी के माता-पिता गांव में घरेलू सहायक के रूप में काम करते थे, क्योंकि उनके छोटे से खेत से होने वाली उपज परिवार का भरण पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। हालात तब बेहतर हुए जब सातवीं कक्षा तक पढ़ चुके हलामी के पिता को करीब 100 किलोमीटर दूर कसनसुर तहसील के एक स्कूल में नौकरी मिल गई।
हलामी ने कक्षा एक से चार तक की स्कूली शिक्षा कसनसुर के एक आश्रम स्कूल में की और छात्रवृत्ति परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने यवतमाल के सरकारी विद्यानिकेतन केलापुर में कक्षा 10 तक पढ़ाई की।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता शिक्षा के मूल्य को समझते थे और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मैं और मेरे भाई-बहन अपनी पढ़ाई पूरी करें।’’
गढ़चिरौली के एक कॉलेज से विज्ञान स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद हलामी ने नागपुर में विज्ञान संस्थान से रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। 2003 में हलामी को नागपुर में प्रतिष्ठित लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एलआईटी) में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया।
उन्होंने महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग (एमपीएससी) की परीक्षा पास की, लेकिन हलामी का ध्यान अनुसंधान पर बना रहा और उन्होंने अमेरिका में पीएचडी की पढ़ाई की तथा डीएनए और आरएनए में बड़ी संभावना को देखते हुए उन्होंने अपने अनुसंधान के लिए इसी विषय को चुना। हलामी ने मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
हलामी अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं, जिन्होंने उनकी शिक्षा के लिए कड़ी मेहनत की। हलामी ने चिरचडी में अपने परिवार के लिए एक घर बनाया है, जहां उनके माता-पिता रहना चाहते थे। कुछ साल पहले हलामी के पिता का निधन हो गया।