गरियाबंद, छत्तीसगढ़: गरियाबंद जिले में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक मड़ाई मेले की रंगत एक बार फिर लौट रही है। तीन साल के लंबे इंतजार के बाद इस पारंपरिक मेले का आयोजन 27 फरवरी से किया जाएगा। तीन दिवसीय इस भव्य आयोजन को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह है। मड़ाई मेला छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और ग्रामीण जीवन के उल्लास का प्रतीक है, जिसे फसल कटाई के बाद उत्सव के रूप में मनाया जाता है।गरियाबंद कृषक पंचायत मड़ाई समिति ने इस आयोजन की स्वीकृति और सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन, कलेक्टर, एसडीएम, सीएमओ और थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा है। समिति के सदस्य श्यामा गुप्ता, हेमलाल सिन्हा, रोहित विश्वकर्मा, महेंद्र पाल सिंह, बिहारी लाल, लक्ष्मण, लाल सिंह ध्रुव, रमेश मेश्राम, अर्जुन सोनवानी, मुकेश पाण्डेय और छगन यादव सहित अन्य पदाधिकारी इस मेले की तैयारियों में पूरी सक्रियता से जुटे हुए हैं।
मड़ाई मेले में इस बार मीना बाजार, सर्कस, मौत का कुआं, रंग-बिरंगे झूले और विशाल बाजार जैसे आकर्षण शामिल होंगे। यह मेला ग्रामीणों के लिए एक बड़े उत्सव जैसा होता है, जिसका उन्हें वर्षों से बेसब्री से इंतजार रहता है। मेले में पारंपरिक कला और संस्कृति की झलक भी दिखाई देगी, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को जीवंत बनाए रखती है। छत्तीसगढ़ अपनी समृद्ध परंपराओं और उत्सवों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां धान लुवाई और मिंजाई के बाद मड़ाई मेले को एक महत्वपूर्ण उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह आयोजन न केवल ग्रामीणों के मनोरंजन का साधन है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का माध्यम है। इस बार गरियाबंद का मड़ाई मेला पहले से भी अधिक भव्य और आकर्षक होने की उम्मीद है। ग्रामीणों के उत्साह और आयोजकों की मेहनत से यह आयोजन एक यादगार उत्सव बनेगा।