गौरेला पेंड्रा मरवाही/ जिले के पनिका समाज ने अपनी लंबित मांगों को लेकर जिला मुख्यालय गौरेला में एक दिवसीय विशाल धरना प्रदर्शन और रैली का आयोजन किया। इस प्रदर्शन के माध्यम से समाज ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की है कि उनकी जाति को एक बार फिर अनुसूचित जनजाति (एसटी) के वर्ग में शामिल किया जाए। प्रदर्शन के दौरान समाज के लोगों ने अपनी एकजुटता दिखाते हुए कलेक्टर कार्यालय तक पैदल मार्च किया और ज्ञापन सौंपा।
पनिका जाति सन 1971 के पहले अविभाजित मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आती थी। राज्य पुनर्गठन के बाद जब छत्तीसगढ़ 2000 में एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, तब पनिका जाति को अनुसूचित जनजाति से हटाकर पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल कर दिया गया। पनिका समाज का कहना है कि यह बदलाव न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में भी बाधा बना है। मध्य प्रदेश में आज भी पनिका जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल है। समाज के लोगों ने तर्क दिया कि एक देश में एक ही जाति के लिए अलग-अलग राज्यों में भिन्न वर्गीकरण होना संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
इस धरना स्थल पर बड़ी संख्या में समाज के लोग एकत्रित हुए। महिलाएं, बुजुर्ग और युवा, सभी ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारी पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे और समाज की संस्कृति और एकता का प्रदर्शन किया। समाज के नेताओं ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति के वर्ग में शामिल किए जाने से पनिका जाति को शिक्षा, रोजगार और सरकारी योजनाओं के तहत विशेष लाभ मिलेगा। रैली में प्रतिभागियों ने नारेबाजी करते हुए कहा कि सरकार को पनिका समाज के अधिकार बहाल करने चाहिए। रैली के समापन पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संबोधित करते हुए मांग की गई कि पनिका जाति को छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल किया जाए। समाज के लोगों ने मांग की कि उन्हें 1971 के पहले की स्थिति में पुनः अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए। उनका कहना है कि इस वर्ग में शामिल न होने के कारण उन्हें शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में पिछड़ापन झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
इस प्रदर्शन में जिले के अलावा आसपास के क्षेत्रों के पनिका समाज के लोग भी शामिल हुए। उन्होंने इस आंदोलन को समाज की पहचान और अधिकार की लड़ाई बताया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार को उनकी मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने चाहिए, ताकि समाज के लोगों को उनका हक मिल सके । धरना प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने के बाद अब पनिका समाज सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है। समाज ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।