Saturday, January 11, 2025
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भारत के तकनीकी इकोसिस्टम में 600 से अधिक जिलों में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप काम कर रहे हैं: राज्य मंत्री

नई दिल्ली/ भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने भारत मंडपम में चौथे भारत इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (आईआईजीएफ) का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम ने नीति निर्माताओं, उद्योग के प्रमुखों और नागरिक समाज को एक मंच पर लाकर इंटरनेट गवर्नेंस के भविष्य पर चर्चा करने का अवसर प्रदान किया। इस वर्ष का विषय “भारत के लिए इंटरनेट गवर्नेंस में नवाचार” था, जो टिकाऊ, समावेशी और न्यायसंगत विकास के लिए इंटरनेट के उपयोग में भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

उद्घाटन समारोह में कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें एमईआईटीवाई के सचिव श्री एस. कृष्णन, नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया के सीईओ डॉ. देवेश त्यागी, मेटा इंडिया के उपाध्यक्ष शिवनाथ ठुकराल और ज़ूपी के संस्थापक श्री दिलशेर सिंह मल्ही शामिल थे। मंत्री ने अपने भाषण में आईआईजीएफ को चर्चा के साथ-साथ कार्रवाई का मंच बताते हुए समावेशी और पारदर्शी डिजिटल नीतियों के महत्व पर बल दिया।

श्री जितिन प्रसाद ने भारत की डिजिटल यात्रा पर प्रकाश डालते हुए डिजिटल इंडिया पहल के तहत यूपीआई, आधार और भारत नेट परियोजनाओं की सफलता की सराहना की। उन्होंने बताया कि देश के 95% गांव 3G और 4G कनेक्टिविटी से जुड़े हैं और स्टार्टअप इकोसिस्टम 600 से अधिक जिलों में विस्तारित हो चुका है, जिनमें से आधे से अधिक का नेतृत्व महिलाएँ कर रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत को वैश्विक प्रमुख बनाने के लिए सरकार के 10,000 करोड़ रुपये के मिशन का जिक्र करते हुए उन्होंने इसे सभी के लिए लाभकारी बनाने की प्रतिबद्धता जताई।

कार्यक्रम में डिजिटल बुनियादी ढांचे के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। श्री प्रसाद ने इंटरनेट गवर्नेंस में भारत की वैश्विक भागीदारी की सराहना करते हुए बहु-हितधारक सहयोग की वकालत की। एमईआईटीवाई सचिव श्री एस. कृष्णन ने इंटरनेट की स्थिरता बनाए रखने और व्यवधानों के दौरान सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस फोरम ने पाँच प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित किया, जिनमें सभी समुदायों के लिए इंटरनेट पहुंच को सशक्त बनाना, संतुलित कानूनी और नियामक ढाँचे विकसित करना, जिम्मेदार एआई को बढ़ावा देना, पर्यावरण अनुकूल डिजिटल प्रथाओं को अपनाना और साइबर सुरक्षा को मजबूत करना शामिल था। यह कार्यक्रम डिजिटल युग में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित करता है और सतत विकास के लिए इंटरनेट के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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