Tuesday, August 26, 2025
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चिराग परियोजना के अंतर्गत पोषण सखी उन्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

नारायणपुर/छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के 27 विकासखण्डों में ग्रामीण आदिवासी परिवारों की आय बढ़ाने और वर्षभर पोषित आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चिराग परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। यह परियोजना छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विभाग द्वारा वर्ल्ड बैंक और आई.एफ.ए.डी. के सहयोग से संचालित की जा रही है। परियोजना के तहत् चयनित ग्रामों में पोषण आधारित गतिविधियों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए पोषण सखी के रूप में महिलाओं का चयन किया गया है, जो अपने ग्रामों में इस महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देंगी। इसी क्रम में, विगत 10 अक्टूबर को जिला पंचायत नारायणपुर के सभा कक्ष में एक दिवसीय पोषण सखी उन्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य चयनित महिलाओं को पोषण सखी के रूप में प्रशिक्षित कर उन्हें चिराग परियोजना के तहत् कुपोषण से निपटने, संतुलित आहार और कृषि-पोषण के संबंध के बारे में जानकारी प्रदान करना था, ताकि वे अपने ग्रामों में सामाजिक व्यवहार परिवर्तन के लिए संचार के माध्यम से आहार विविधता के महत्व को प्रसारित कर सकें। प्रशिक्षण का नेतृत्व मास्टर ट्रेनर सुश्री दुर्गा साहू, ब्लॉक कॉर्डिनेटर, पी.सी.आई. एवं श्रीमती स्वाति सागरवंशी, सुपरवाइजर, महिला एवं बाल विकास विभाग ने किया। उन्होंने चयनित महिलाओं को चिराग परियोजना का विस्तृत परिचय देते हुए कुपोषण और संतुलित आहार के महत्व को समझाया। साथ ही, दैनिक भोजन में विविधता लाने के लिए सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन लाने की रणनीतियों पर चर्चा किया। कार्यक्रम में उप-संचालक कृषि श्री बी.एस. बघेल, सहायक संचालक कृषि श्री एस.के. मारकोले, चिराग राज्य कार्यालय से श्री मयूर गुप्ता और श्री जगजीत मिंज, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री गंगेश्वर भोयर, डिप्टी पीडी श्री एम.डी. बैस सहित कृषि विभाग के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। इस आयोजन ने ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को सशक्त करने और उन्हें पोषण और कृषि के महत्त्वपूर्ण पहलुओं से जोड़ने का एक मंच प्रदान किया, ताकि वे अपने गांवों में पोषण सखी के रूप में सकारात्मक बदलाव ला सकें। अधिकारियों ने कार्यक्रम की सराहना की और महिलाओं को इस दिशा में अपने योगदान के लिए प्रेरित किया। चिराग परियोजना के अंतर्गत यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल महिलाओं को सशक्त बना रहा है बल्कि आदिवासी समुदायों में बेहतर स्वास्थ्य और पोषण की दिशा में एक अहम कदम साबित हो रहा है।

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