Monday, April 21, 2025
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आरक्षण को लेकर सर्व आदिवासी समाज लाल बंद

छत्तीसगढ़ :-  प्रदेश आदिवासी सभ्यता और संस्कृति से रचि बसी है। राज्य के ज्यादातर हिस्सों में आदिवासी समाज बाहुल्य संख्या में निवासरत है, जिसके बावजूद यंहा पर निवास करने वाले मूल निवासीयो को अपने अधिकारों के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। राज्य में दूसरे अन्य राज्यों से आकर बसने वाले लोगों के लिए कितना बढ़िया माहौल है। यह अन्य दूसरे राज्यों से आकर बसने वाले लोगों की बढ़ती हुई संख्या खुद बंया कर रहा है। जबकि राज्य के मूल निवासी बांसिदे अपने अधिकारों के लाभ से वंचित रहते हुए अन्य राज्यों में जाकर रोजी रोटी की तलाश में भटक रहे है या फिर अपनी बारी आने के इंतजार में खामोश बैठा हुआ है। भारत के अन्य कई दूसरे राज्यों में वंहा के सरकारों ने पर्याप्त आरक्षण की व्यवस्था लागू कर रखी है, जिसके चलते आरक्षण जैसे अहम मुद्दों पर उन राज्यों ने सफलता हासिल कर लिया है। निश्चित रूप से जिन राज्यों में यह व्यवस्था लागू है वहां के जनप्रतिनिधियों ने अपने राज्य में निवासरत बांसिदो के लिए बहुत बढ़िया काम किया है।
चूंकि छत्तीसगढ़ राज्य में अबतक आदिवासियों को लुटने और लुभा कर वोट हासिल करने वाली सरकारों ने राज करते हुए जल जंगल और जमीन पर गिद्ध की निगाह रखने वाले लोगों को उबारने का प्रयास किया है। लिहाजा सबसे ज्यादा संख्या की तादाद में मौजूद होने के बावजूद आदिवासी समाज को आरक्षण पर सिर्फ सियासत देखने को मिला है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ में 32% फीसदी आरक्षण बहाल करने की मांग को लेकर आदिवासी समाज आंदोलन कर रहे है। सर्व आदिवासी समाज की मानें तो जबतक 32% आरक्षण व्यवस्था राज्य में बहाल नहीं होती तब-तक समाज किसी भी स्तर पर राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेगी। अगर 32% आरक्षण की व्यवस्था बहाल नहीं हुई तो बात वोट तक ही सीमित नहीं रहेगी, समाज से विधायक नहीं, सांसद नहीं, जिला -जनपद पंचायत के अध्यक्ष नहीं,पंच सरपंच नहीं यंहा तक राजनीतिक के हर स्तर पर आदिवासी समाज सभी राजनीतिक दलों का बहिष्कार जारी रखते हुए संघर्ष को आखिरी मुकाम तक लेकर जाने हेतू प्रतिबद्धता जाहिर किया है। सर्व आदिवासी समाज की रूख को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में जंहा राजनीतिक पारा चढ़ गई है तो वंही अब छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज भी मामले में उग्र प्रदर्शन करने को उतारू हो गया है। सर्व आदिवासी समाज ने एक से तीन नवम्बर तक आयोजित राज्योत्सव और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का बहिष्कार करने के साथ आदिवासी समाज के सांसदों, विधायको और मंत्रियों के घर बाहर नगाड़ा बजाने का ऐलान किया है। सर्व आदीवासी समाज ने विधायको और आदिवासी नेताओं पर आरक्षण के मामले में चुप्पी बरतने का आरोप लगाते हुए उन्हें चुप्पी से जगाने हेतू उनके निवास के सामने नगाड़ा बजाने का ऐलान किया है।
आरक्षण मामले को लेकर सर्व आदिवासी समाज 15 नवम्बर को पूरे राज्य भर आर्थिक नाकेबंदी एवं रेल रोको, मालवाहक रोको आंदोलन का आव्हान किया है। समाज के लोगों की मानें तो छत्तीसगढ़ राज्य सरकार आदिवासी नृत्य महोत्सव में आदिवासियों को मंच पर नृत्य करवा कर आदिवासियों को बरगलाने का प्रयास करने पर तुली हुई है। जबकि हकीकत के धरातल पर मौजूद राज्य सरकार पूर्व के सरकारों की भांति जल जंगल जमीन को बेचकर की समूल विनाश करने पर जुटी हुई है। राज्य के हर कोना में आज आदीवासी समाज के लोगो पर अन्याय और अत्याचार चरम पर पहुंच गया है जबकि राज्य की सत्ता को अपनी बाप दादा की जागीर समझने वाले राजनीतिक दल के नेता आदिवासी को नाचवा कर उन्हें उनके हितैषी होने का झुठा दावा प्रस्तुत करते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि आदिवासी समाज से आने वाले विधायक और सांसद आदिवासियों पर हो होने वाली अन्याय और अत्याचार पर खोमोशी के चादर ओढ़ कर राजनीतिक दलों के पीछे छुप जाते हैं। आदिवासियों के लिए समाज से जुड़े हुए जनप्रतिनिधियों का यह रवैया समाजिक पतन का मुख्य कारण है। बहरहाल सर्व आदिवासी समाज सभी को सबक सिखाने हेतू अब आंदोलन के मैदान पर दमखम के साथ उतर रही है। ऐसे में देखना होगा कि सर्व आदिवासी समाज का दमखम कंहा तक घटिया मानसिकता से लबरेज नेताओं की दिमाग को ठिकाने लगाने में कंहा तक सफलता प्राप्त करती है।

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