छत्तीसगढ़, लुण्ड्रा (सरगुजा)/ गोंड कर्मचारी कल्याण परिषद शाखा लुण्ड्रा के तत्वावधान में विगत 5 अक्टूबर 2024 शनिवार को ग्राम पंचायत भवन उरदरा में एक दिवसीय गोंडी धर्म दर्शन सभा का आयोजन किया गया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि श्रद्धेय ए.पी. साण्डिल जी थे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में तिरु महेश्वर सिंह टेकाम जी ने सभा की शोभा बढ़ाई।
ग्राम पंचायत भवन उरदरा में आयोजित इस धर्म सभा में बड़ी संख्या में ग्राम के सगा जनों के साथ-साथ आसपास के गांवों से आए पुरुष और महिलाएं भी उपस्थित रहीं। सभा की शुरुआत तिरु महेश्वर सिंह टेकाम जी के संबोधन से हुई। उन्होंने गोंड समाज के रीति-रिवाजों और उसकी विशिष्टताओं पर प्रकाश डाला। इसके बाद धर्म गुरु श्रद्धेय तिरु ए.पी. साण्डिल जी ने गोंडी धर्म दर्शन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी विचारधारा प्रस्तुत की। साण्डिल जी ने अपने संबोधन में गोंड समाज की सामाजिक व्यवस्था, तीज-त्योहारों और देवी-देवताओं के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि गोंड समाज की धार्मिक व्यवस्था अन्य धर्मों से भिन्न है। गोंड समाज का प्रमुख इष्ट देवता बुढ़ा देव हैं, जिनकी पूजा सदियों से होती आ रही है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि वर्तमान युवा पीढ़ी धीरे-धीरे अन्य तीज-त्योहारों की ओर आकर्षित हो रही है, जो समाज के लिए चिंताजनक है।
सभा में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का भी जिक्र किया गया, जिसमें गोंड समाज को हिंदू नहीं बल्कि गोंडी धर्म का अनुयायी माना गया है। यह बात सभा में उपस्थित सभी लोगों ने सहर्ष स्वीकार की। अंत में समाज के ऐतिहासिक महापुरुषों, धर्म गुरु पारी कुपार लिंगो सल्ला गांगरा के प्रतीक चिन्ह (फोटो) को उपस्थित जनसमूह के बीच वितरित किया गया, ताकि वे इन्हें अपने घरों में स्थापित कर सकें और समाज की गौरवशाली धरोहर को संजोए रखें।
यह सभा समाज के धर्म, संस्कृति और परंपराओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।