Monday, April 21, 2025
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हसदेव बनाम आरक्षण कटौती एक साजिश – आर के कुंजाम

छत्तीसगढ़ :- एक तरफ आदिवासी जल जंगल जमीन के संरक्षक है।ताकि प्रकृति के बचाने के साथ संपूर्ण मानव जीवन ,जीव जगत को शुद्ध हवा,पानी ,जीवन जीने ,स्वस्थ रखने प्रकृति का संरक्षण करते आ रहे हैं।और करते रहेंगे।
दूसरी तरफ शासन प्रशासन तथा बिचौलिए,खनिज संपत्ति दोहन के नाम से जंगलों से आदिवासियों को खदेड़ने के नष्ट करने लहजे से जंगलों को नष्ट कर आदिवासियों के आजिविका के साधन,उनके घर द्वार सब फौज सेना पुलिस का सहारा लेकर नष्ट करवा रहें हैं।आदिवासी बेबस और लाचार है।विकास के नाम पर आदिवासियों को लालीपाप दिया जाता है।विभिन्न संगठनों के माध्यम से आदिवासियों के संगठन शक्तियों को तोड़ा जा रहा है।चाहे अन्य धर्म संगठन हो,राजनीति संगठन हो,या सामाजिक संगठन।ऐसे संगठनों से जुड़े सामाजिक लोग,चाहे नेता मंत्री विधायक हो पद कुर्सी पार्टी के लालच मे सभी दोषी है।
आज पांचवीं अनुसची क्षेत्रों मे पांचवीं अनुसची लागू तो है पर प्रशासन मे बैठे लोग अन्य वर्ग के लोग अक्षरशः पालन नहीं कर रहे हैं।अपने हक ,जल जंगल जमीन बचाने लड़ने वाले आदिवासियों को नक्सली करार दे कर मार दिया जाता है।बहन बेटियों की इज्ज़त लुट कर अत्याचार किया जाता है।घर तोड़ दिया जाता है,बेगुनाहो को बेवजह एनकाउंटर कर जेल मे डाल दिया जाता है।
साथियों निर्दोष साबित होता है, साबित भी करते है फिर भी अत्याचार नहीं रूकता।शासन प्रशासन कोर्ट से पुछना चाहता हूँ।निर्दोष होने पर क्या अपराधियों को दंड दिया जाता है।उनके बीते दिनो को वापस किया जाता है।नहीं?इस तरह जंगलों को लुटने तरह तरह की यातनायें आदिवासियों को देते आ रहे हैं।कितनी विडंबना है।क्या अत्याचार करनेवाले सेना के लोग,पुलिसो के मां बहन बेटियां नहीं है, क्या? साथियों इस देश शासन प्रशासन मे बैठे लोग केवल स्वार्थ के भावना, अपने पार्टी,अपने समाज, धर्म ,संस्कृति और संगठनों का झंडा गाड़ने का प्रयास कर रहे हैं बिचौलिए लोग।आदिवासी जल जंगल जमीन विभिन्न कंपनियों, बड़े बड़े पैसे वालो के हाथ बेचा जा रहा है।
शासन प्रशासन विकास की दुहाई देता है, पर जल जंगल जमीन का विनाश संपूर्ण सृष्टि के जीव जन्तु के प्रकृति के विनाश का कारण बनेगा ये क्यों नहीं सोचते शासन प्रशासन मे बैठे लोग,वैज्ञानिक और ज्योतिष लोग।छत्तीसगढ़ के पांचवीं अनुसची क्षेत्रों मे बलात् अतिक्रमण अन्य राज्य क्षेत्र के लोगों का अतिक्रमण, धर्म के नाम से अतिक्रमण हर दृष्टि से आदिवासियों के हक अधिकार छिनते जा रहे हैं।
प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण आये दिन प्रदूषण बढ़ रहा है, ग्लोबल वार्मिग बढ़ रही है, तापमान बढ़ रहा है।आखिर क्यों?क्या शासन प्रशासन और इन पर बैठे लोग कभी चिंतन किये हैं ?नहीं।पेसा कानून ले देके लागू किया गया पर उसे भी तोड़ मरोड़ कर ।साथियों ये सब छल है,दिखावा है।आज आत्मनंद इंग्लिश स्कूलो के नाम से ,कंपनियों के नाम से बाहरी लोगों को घुसाया बसाया जा रहा है ताकि आदिवासियों का शोषण हो।
एक दुख की बात जब अन्य वर्ग के बेटियों पर बलात्कार जैसे घटनाएं होती है, देश दहल जाता है, हर संगठन सामने आते है।लेकिन आदिवासी बेटियों के साथ आए दिन कहीं घटनाएं होती रहती है देश प्रदेश संगठनों द्वारा कोई क्रिया प्रक्रिया नही यहां तक अखबार मिडिया भी मौन रहते है।सोचो इस देश मे आदिवासियों के प्रति क्या कैसी भावना है।आदिवासियों के देवठानाओ ,गढ़ किलो पर बलात् कब्जा कर नाम बदले जा रहें हैं बलात् अपने झंडा गाड़ दिया जाता है ताकि उन हक हो जाय और बेवजह झगड़ा हो ताकि शासन प्रशासन मे बैठे लोग उनके हक मे निर्णय दे ऐसा ही होते आ रहा है ।इतिहास मिटाया जा रहा है कोई प्रतिक्रिया नहीं।कानून हमारा नहीं।आदिवासी बेटा बेटियां राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ट्राफी गोल्ड,सिल्वर,कांस्य पदक जीत कर आते है।कोई प्रतिक्रिया नहीं वहीं उच्च वर्ग से आये तो हर मिडिया हर नेता बधाई का फुलझड़ी लगा देते हैं।ऐसा भेदभाव आज भी इस देश मे हो रहा है।
साथियों आरक्षण हमारा हक है।जनसंख्या के आधार छत्तीसगढ़ मे आदिवासी बहुलता को देखते हुए किया गया था ।जिसे 32%से घटाकर 20%करना एक षड़यंत्र है।राजनीति और कुटनीति पहले तो याचिका दायर कराया जाता है आवाज उठवाया जाता है।कुछ वर्ग के लोग खुले आम भी चलौंज करते हैं।पर उनको क्या पता आरक्षण किसी का दिया खैरात नहीं बल्कि हमारा हक अधिकार है।आदिवासी आदिकाल से जल जंगल जमीन आदिवासियों के नाम था जिसे पूर्व मे पढ़े लिखे लोग कर ,चुंगी ,टेक्स के आड़ मे अपने नाम करते गये।आज शासन प्रशासन न्याय के गद्दी पर बैठे लोग ये क्या जानेंगे।हालांकि की आदिवासियों की जमीन कोई नहीं खरीद सकता ,न बिक सकता आदेश जारी किया जाता है।पर पांचवीं अनुसची क्षेत्रों के साथ अधिकांश जगहो पर ये पालन नहीं हो पा रहा है।
एक तरफ आरक्षण बचाने का न्याय दिलाने की बात होता है।दूसरे तरफ सचिवो द्वारा तत्काल भर्ती का सर्कुलर विभागों मे बिना फैसला विभिन्न विभागों मे आदेश जारी किया जाता है।धोखा है।
ऐसा ही प्रकरण पदोन्नति के समय होता है।आनन फानन मे पदोन्नति लिस्ट एस सी ,एस टी को छोडकर किया जाता है।एस सी ,एस टी द्वारा कोर्ट मे याचिका दायर किया जाता है।इस बीच स्टे आर्डर आने मे कुछ विलंब होता है।पर प्रशासन मे बैठे लोग तत्काल आदेशित कर पदोन्नति कर दिया जाता है।और भी तात्कालिक होता है।कैसा जातिगत षड़यन्त्र चल रहा है सोचो ।
इसके बावजूद हम ऐसे लोगों का संगठनों और पार्टियों के झंडे नीचे साथ देते हैं।जो हमारे ही हक अधिकार को छिनने मे लगे है,जल जंगल जमीन को नष्ट करने मे लगे हैं।
एक तरफ नौकरियों भ्रष्टाचार व्याप्त है हमारा बच्चे हर प्रकार के टैंलेंट है हर प्रतियोगिता परीक्षा फाईड करता है।पर जब कापी जंचती है तो भी पास अव्वल नंबर से पर साक्षात्कार मे कम नंबर देकर अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।क्योंकि पीएससी,यूपीएससी जैसे जगह पर ऐसे वर्ग बैठता है जहाँ भेदभाव होता है,जहां जातिवाद चलता है।कारण ऐसे समितियों मे केवल ऐसे वर्गों के अधिकारियों को बिठाया जाता है।जो अपना देखते है।हर विभाग मे हर साक्षात्कार समीतियों मे सभी वर्गों के अधिकारियों को क्यों नहीं बिठाया जाता।शासन प्रशासन से हमारा सवाल है?
आज छत्तीसगढ़ मे कितने आई एस ,आई पी ईस अफसर है बहुत कम ,छत्तीसगढ़ एस सी,एस टी कितने है।गिनती के।कारण ऐसे परीक्षाओं मे जाति देखकर कार्य किया जाता है।अगर ऐसे अधिकारी हो भी गये जो सत्य कार्य, आदिवासियों की हितो,हक अधिकार की बारे मे सोचता है,बिचौलियों राजनीति ठेकेदारों के द्वारा शासन प्रशासन मे कई प्रकार से कानापूसी भ्रष्टाचार कर हटा दिया जाता है।आखिर क्यों?
छल कपट भ्रष्टाचार बिना सही कार्य करनेवाले लोगों को ही अधिकारी और नेता बनने का हक है।पर आज नौकरियों मे,अनुदानों मे,कुछ पास कराने ढंके की चोट मे पैसा ,भ्रष्टाचारी का खेल हो रहा है।देश प्रदेश क्या ऐसे मे विकास करेगा।पांच लाख पास कराने के लिए हाथो मे आते तक साढ़े तीन से चार लाख तक बचता है।सोचो भ्रष्टाचार का दायरा।
पांचवीं अनुसची क्षेत्रों मे हर विभागों या संबंधित विभागों मे एस टी अधिकारियों को ही बिठाया जाय।आदिवासियों देवठानाओ गढ़किलो पर किसी भी लोगों को झंडा गाड़ने कब्जा करने न दिया जाय।घुस पैठ बंद हो,बाहरी लोगों को बसाना बंद हो,धर्म आस्था के नाम आदिवासियों के जमीनों पर अतिक्रमण न किया जाय।मूल पेसा कानून लागू कर अक्षरशः पालन कराया जाय।भ्रष्टाचार बंद हो।बेवजह नक्सली करार देकर अत्याचार कराना बंद हो।
जागो साथियों जागो संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करो किसी की गुलामी मत करो।स्वतंत्र हो ,स्वतंत्र रहो।आदिवासी जल जंगल जमीन की ,अपने धर्म संस्कृति समाज की रक्षा करो।

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