Sunday, April 20, 2025
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कुड़मी समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने की माँग को अनुचित बताते हुए कोल्हान आदिवासी एकता मंच ने इसका पुरजोर विरोध किया

चाईबासा :- कुड़मी समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने की माँग को अनुचित बताते हुए कोल्हान आदिवासी एकता मंच ने इसका पुरजोर विरोध किया है। मंच ने कुड़मी समुदाय के 5 (पाँच) समूहों के द्वारा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और पश्चिमी मेदिनीपुर स्टेशनों में लगभग 5 दिनों तक रेल रोको आन्दोलन के तहत ट्रेनों के परिचालन को अवरूद्ध करके जन जीवन को अस्त-व्यस्त करने की आलोचना की गई है। कुड़मी समुदाय की अनुचित मांग के विरोध 21 ट्राइबल संगठनों को मिला कर बने मंच ने मंगलवार को चाईबासा में जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया और उपायुक्त को एक मांग पत्र सौंपा। मंच ने इस बात पर आक्रोश जताया कि कुड़मी समुदाय के रेल रोको आंदोलन से भारतीय रेल को आर्थिक क्षति तो हुई है, सामान्य जनता को भी काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद दक्षिण रेलवे और पश्चिम बंगाल सरकार मूक दर्शक बनी रही। कानून-व्यवस्था को बहाल करने के लिये प्रदर्शनकारियों पर कोई बल का प्रयोग नहीं किया गया । नतीजन बंगाल सरकार की नाकामी ने कुड़मी समुदाय का मनोबल को बड़ा दिया है। कोल्हान आदिवासी एकता मंच ने कहा कि अब झारखण्ड सरकार को कुड़मी समुदाय द्वारा उसी तरह कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा। कुड़मी समुदाय अब अपनी माँग को लेकर झारखण्ड सरकार पर यह दबाव डालने पर तत्पर है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उनकी माँग अनुशंसित करके केन्द्र सरकार को अग्रसारित करके भेजा जाय। आदिवासी एकता मंच ने कहा कि अगर झारखण्ड सरकार भी बंगाल सरकार की तरह मूकदर्शक बन कर कुड़मियों की अनुचित माँग के समक्ष झुकती है, तो कोल्हन क्षेत्र में स्थिति काबू के बाहर जा सकती है। यहाँ की ट्राइबल समुदाय की जनता भी कुड़मियों की तरह ही रेल सेवा को बाधित करके खनिज पदार्थों के परिवहन को अनिश्चित काल के लिये बन्द करेगी। जुलूस एवं प्रदर्शन का नेतृत्व कोल्हान आदिवासी एकता मंच के संयोजक सुशील पूर्ति, अध्यक्ष रमेश जेराई, सचिव रवि बिरुली, बीरसिंह बिरुली, देवेंद्र नाथ चांपिया, संचू उरांव, लालू कुजूर कर रहे थे। पूरे कोल्हान से 21 से ज्यादा सामाजिक संगठनो के हजारों लोग इसमें शामिल थे।

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