Sunday, August 24, 2025
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जोहार आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ की प्रांतीय टीम ने प्राचीन धरोहर मिलकुँआ डोंगरी का किया भ्रमण

दिनेश नेताम/गरियाबंद: जोहार आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ की प्रांतीय टीम ने कल मिलकुँआ डोंगरी का भ्रमण किया, जो छत्तीसगढ़ की एक प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर है। इस डोंगरी में प्राचीन चिंडा भुँजिया राजा का गढ़ रहा था, जिसे राजा कचना धुर्वा ने जीत कर आधिपत्य किया था। टीम के सदस्यों ने बताया कि मिलकुँआ डोंगरी का नाम वहाँ मौजूद प्राचीन कुँआ पर आधारित है, जो गर्मी के दिनों में भी पर्याप्त पानी रहता है। इस डोंगरी में आदिमानवों के निवास के भी सबूत मिले हैं एवं उनके द्वारा बनाए गए शैलचित्र दिखाई देते हैं।

टीम के सदस्यों ने कहा कि यह भ्रमण एक अद्भुत अनुभव था, जो उन्हें अपने पुरखों से जुड़ने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने कहा कि यह धरोहर छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इसका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है ।इस भ्रमण में गाइड के रूप में नेतृत्व कर रहे थे स्थानीय ग्रामीण युवा भुपेन्द्र नेताम और टेवन नागेश ने टीम को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। जोहार आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ की प्रांतीय टीम ने इस भ्रमण के लिए उनका आभार व्यक्त किया।

गाइड भुपेन्द्र नेताम ने टीम को बताया कि यहाँ दो से तीन बार गैर आदिवासी संस्कृति वाले कब्जा करने की नाकाम कोशिश की है। अतः आदिवासी समाज के प्रमुखों एवं सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस पुरातन एतिहासिक धरोहर को संरक्षित कर इसे शुद्ध रखने के लिए सकारात्मक पहल करें। डोंगरी में जाने से पहले वहाँ के गाँव वालों के मान्यता अनुसार कुछ नियम पालन करना और अनुमति लेना अनिवार्य हैं यदि जाना हो तो स्थानीय गाँव वाले के साथ ही जाएँ तो अन्यथा रास्ता भटकने का भय रहता है साथ ही जंगली जानवरों का भी खतरा हो सकता है। 

जोहार आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ के प्रांतीय टीम – ईश्वर मंडावी (संरक्षक), पूरनमल ध्रुव (प्रांताध्यक्ष), अनिल सलाम (उपाध्यक्ष), तरकेश मरकाम (महासचिव), जीतेंद्र नेताम ( सहसचिव), कमलेश मांझी (कोषाध्यक्ष), भानुप्रताप कुंजाम (जिलाध्यक्ष धमतरी), चिमन मरकाम (जिला सचिव गरियाबंद), उगेश कुमार तीरधारी (सदस्य) शामिल रहे।

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