बैकुंठपुर कोरिया/ छत्तीसगढ़: कोया पुनेम गोंडवाना महासभा इंडिया द्वारा आयोजित ‘गांव गुड़ी पेनठाना: सामाजिक सरोकार’ विषय पर एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय अध्यक्ष कोयतुर मनोज सिंह कमरो उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राय सिंह श्याम, प्रदेश अध्यक्ष (छ. ग.) द्वारा की गई, जबकि अर्का मानिकराव (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, तेलंगाना) विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए तिरु. मनोज सिंह कमरो ने कहा कि ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था और संस्कृति गोंडियन समाज की धरोहर है। इस व्यवस्था में सहयोग और सहभागिता का विशेष महत्व है, जहां ग्रामीण देवी-देवताओं (पेन शक्तियों) का मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद लिया जाता है। गाँव गुड़ी पेनठाना प्रणाली के अंतर्गत प्रत्येक तीज-त्योहार में ग्रामीण देवताओं को सम्मान देते हुए, सबसे पहले फसल का अंश अर्पित किया जाता है।
फसल चक्र के दौरान, जब धान की बोआई की जाती है, तो गाँव के किसान भाई देवगुड़ी (पेनठाना) में कठोरी त्योहार मनाते हैं। यह सामूहिक रूप से हल चलाकर और बीज बोकर नई खेती की शुरुआत का प्रतीक है। इसके बाद पोला और हरेली त्योहार मनाए जाते हैं, और जब धान में फूल लगते हैं, तो भी उत्सव का आयोजन किया जाता है। धान की अंतिम मिंसाई के समय पेन शक्तियों की पूजा की जाती है।
गोंडियन संस्कृति में मुख्य रूप से तीन संस्कार—जन्म, विवाह और मृत्यु (टुंडा, मुंडा, कुंडा)—महत्वपूर्ण होते हैं। गाँवों में अब भी गोंडी भाषा के शब्दों का व्यापक प्रयोग होता है, जैसे- दाई, दाऊ, चुन्दी, ठोमा आदि। विवाह संस्कार में दूल्हा-दुल्हन को देवता के रूप में मानकर विधि संपन्न की जाती है।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सचिव विद्यासागर सिंह श्याम, राष्ट्रीय अध्यक्ष मातृशक्ति प्रकोष्ट तिरुमाय मंगला ताई उइके (महाराष्ट्र), शुश्री संजू लता नाइक (उड़ीसा), डॉ. अनिल कुमार शाह (उत्तर प्रदेश), डॉ. कुलदीप सिंह श्याम (छ. ग.), मंजीत अर्पित (दिल्ली), अजित प्रताप श्याम (छ. ग.), चन्द्र किशोर मरावी (म. प्र.) और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।