नई दिल्ली: रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स देशों के संस्कृति मंत्रियों की 9वीं बैठक में भारत के संस्कृति मंत्रालय के सचिव, श्री अरुणीश चावला ने वैश्विक विकास रणनीतियों में संस्कृति को केंद्र में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने संस्कृति को सशक्तिकरण, समावेशन और आपसी समझ के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बताते हुए इसे सतत विकास और वैश्विक सहयोग के लिए आवश्यक बताया। श्री चावला ने अपने बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सांस्कृतिक रचनात्मकता, वाणिज्य और सहयोग के तालमेल पर आधारित दृष्टिकोण की पुष्टि की, जिसका उद्देश्य एक समतामूलक, टिकाऊ और समावेशी विश्व का निर्माण करना है। जी20 के दौरान भारत के नेतृत्व में उठाए गए मुद्दों के साथ तालमेल रखते हुए, भारत ने 2030 के बाद के वैश्विक विकास एजेंडे में संस्कृति को स्वतंत्र लक्ष्य के रूप में मान्यता देने की वकालत की।
बैठक के दौरान भारत ने रचनात्मक उद्योगों, नवाचार और रोजगार सृजन के महत्व पर भी प्रकाश डाला और ब्रिक्स देशों को आर्थिक विकास और सामाजिक समावेश में अपनी सामूहिक सांस्कृतिक शक्तियों का उपयोग करने की अपील की। भारत ने इस मंच पर लोगों के बीच आदान-प्रदान, सांस्कृतिक कूटनीति और शिक्षा को बढ़ावा देने को भी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल किया। इस चार सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री अरुणीश चावला ने किया, जिसमें संयुक्त सचिव लिली पांडेय, निदेशक यशवीर सिंह और उप सचिव शाह फैसल भी शामिल थे।
भारत का लक्ष्य ब्रिक्स देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना, आपसी समझ को गहरा करना और वैश्विक चुनौतियों का संयुक्त रूप से सामना करने के लिए सांस्कृतिक कूटनीति का उपयोग करना है, जो आने वाले वर्षों में ब्रिक्स के सांस्कृतिक एजेंडे को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होगा।