नई दिल्ली: भारत में हाथियों की ताजा गणना के परिणाम अगले साल जून तक जारी नहीं हो सकेंगे क्योंकि उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में गिनती में देरी हुई है। हाथियों की यह गणना देश के चार प्रमुख क्षेत्रों – हिमालय की तराई, पूर्वोत्तर राज्य पूर्व-मध्य भारत और दक्षिणी भारत के पश्चिमी और पूर्वी घाट – में की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार उत्तर पूर्वी राज्यों से आंकड़ों का संकलन और विश्लेषण अभी पूरा नहीं हुआ है, जिससे परिणाम जारी होने में देरी हो रही है। इसके प्रमुख कारणों में “भारी मानसूनी बारिश, बाढ़ और वन कर्मियों की सीमित क्षमता”शामिल हैं। मेघालय के मुख्य वन्यजीव वार्डन एस एम सहाय ने बताया कि इस बार हाथियों की गणना के लिए नई पद्धति अपनाई गई है, जिसके कारण प्रक्रिया में अधिक समय लग रहा है।
असम के मुख्य वन्यजीव वार्डन संदीप कुमार ने कहा कि कठिन भूभाग, मानसूनी बारिश और बाढ़ के अलावा, इस बार गिनती में और अधिक समय इसलिए भी लग रहा है क्योंकि वन क्षेत्रों के साथ-साथ हाथियों की आवाजाही वाले राजस्व क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। इस देरी के कारण देशभर में हाथियों की वास्तविक संख्या जानने के लिए जून 2025 तक इंतजार करना होगा। वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार, यह कदम हाथियों की सही स्थिति और उनकी संरक्षण रणनीतियों को बेहतर तरीके से तैयार करने में सहायक सिद्ध होगा।