किंदरई :- गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति मध्यप्रदेश के तत्वाधान में गौरा कलश पूजन एवं वार्षिक महोत्सव का आयोजन गुरुदेव दिलीप सैयाम प्रदेश संयोजक के मुख्य आतिथ्य में विकासखंड घंसौर के ग्राम पंचायत चरगांव ग्राम राजगढ़ में भव्यता से आयोजित किया गया। जहां बड़ा देव ठाना स्थल में विभिन्न जिलों से पहुंचे माताओं द्वारा लेकर आए लगभग 251 कलशों की स्थापना कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया गया। मंचीय कार्यक्रम दौरान पूरी रात भर सांस्कृतिक संदेशों से परिपूर्ण नर्तक दलों द्वारा प्रस्तुतियां दी गई वहीं अतिथियों द्वारा मंच के माध्यम से समुचित समाज को संबोधित करते हुए उद्बोधन दौरान सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक धार्मिक विषयों में बातें कही गई।
प्रदेश संयोजक दिलीप सैयाम द्वारा मंच के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा गया की गोंडी संस्कृति विश्व की संस्कृति की जननी है व्यक्ति से परिवार और परिवार से समाज का निर्माण होता है और हर समाज की अपनी अपनी रीति नीति परंपरा और संस्कृति ही समाज की पहचान होती है। धर्म पिता तुल्य और भाषा माता तुल्य के साथ संस्कृति और कला गोंड समाज की विशेष पहचान है जिसमें गोंडवाना गुरुदेव परम श्रधेय महाकाल दुर्गे भगत जी वह माता दुर्गे दुलेशश्वरी के मार्गदर्शन में गोंडवाना लैंड के भूभाग मध्य प्रदेश के अंदर भी लगातार गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति मध्यप्रदेश के माध्यम से धर्म संस्कृति की रीति रिवाजों की पुरखों की बनाई हुई विरासत भरी परंपरा को बचाने का मुहिम चलाया जा रहा है। हमारे जीवन काल की समस्त व्यवस्थायें प्रकृति के हिसाब से चलने वाली हैं। जिन्हें समझने की आवश्यकता है और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए भी इन व्यवस्थाओं को जीवित रखना आवश्यक है।
उद्बोधन के क्रम में इंजी. भूपेंद्र वरकड़े सदस्य जिला पंचायत मंडला द्वारा कहा गया गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति एक बड़ा मंच है अपनी संस्कृति धर्म भाषा वेशभूषा को संरक्षित रखने का आज समाज के सामने अपनी भावी पीढ़ी के लिए मूलसंस्कृति को बचाना बहुत बड़ी चुनोती है जब सरकारें और समाज के जिम्मेदार लोग ही अपनी मूलसंस्कृति को नष्ट करने में लगी हों, आज बेहद आवश्यक है कि अपनी संस्कृति और समाज से जिन्हें प्रेम है वो सभी गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति जैसे अनुशासित समिति से जुड़कर अपनी मूलसंस्कृति के वाहक बनें जिससे जो हमारी भावी पीढ़ी को मिले, और हमारे मूलसंस्कृति व संवैधानिक अधिकारों को संरक्षित व सुरक्षित रखने में अपने नैतिक व सामाजिक जिम्मेदारी निभाए।
वही समिति प्रदेश महासचिव संजय मरकाम द्वारा बताया गया कि गौरा कलश स्थापना के माध्यम से माताओं में बचत भाव को जागृत करना है चूंकि माताएं ही भावी पीढ़ी को मार्गदर्शन करते हुए आगे बढ़ाती हैं। मंच के माध्यम से प्रदेश समन्वयक आर सी गज्जाम द्वारा विस्तार से समिति द्वारा गुरुजी के माध्यम से किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया गया वहीं अन्य वक्ताओं द्वारा भी धर्म संस्कृति के संरक्षण संबंधित बातें कही गई इस दौरान उपस्थित रहे गनाराम पन्द्रों, तीरथ सैयाम, दिलीप कुमार भगदिया, झुन्नीलाल सैयाम, अशोक सरोते, धीरा सिंह मरावी, संतोष मसराम, झमू मरकाम, मुन्ना कुशराम, देवा मरावी, मदन सैयाम, हरनाम मरावी, मुन्ना मरावी, धन्नी परस्ते, सन्दीप पावले, संदीप विश्वकर्मा, राजकुमार कुशरे, रमेश परते, वीरेंद्र मरकाम, शनीराम मसराम, सुदामी प्रसाद मर्सकोले शारदा अहके छोटे लाल मरावी, बुद्ध सैयाम, राजेंद्र उकि भद बट्टी, अशोक मरावी, तीत तेकाम, नारायण वरकड़े रामप्रसाद मरकाम, शिवराज तेकाम, भागवत तुमराची, जगत सिंह तुमराची, छिद्वीलाल परते, मनोज सैयाम, श्याम मरकाम, सुग्रीव मरावी सहित प्रदेश समिति कार्यकारिणी के पदाधिकारी व स्थानीय आयोजन समिति कार्यकताओं के साथ बड़ी संख्या में लोग रहे उपस्थित ।