उदयपुर :- छत्तीसगढ़ में जनजातीय समुदाय के 32% आरक्षण को घटाते हुए 20% करने के फैसले के खिलाफ आदिवासियों में बहुत ज्यादा आक्रोश है। इसी मुद्दे को लेकर 10 अक्टूबर 2022 को विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा सामाजिक संगठनों ने भी सरकार के इस लापरवाही व उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने हेतु उचित कार्यवाही हेतु सरगुजा जिले के उदयपुर विकास खंड में ज्ञापन सौंपा गया।
अजजा शासकीय सेवक विकास संघ उदयपुर के पदाधिकारियों एवं समुदाय के सदस्यों के द्वा रा विगत 19 सितंबर 2022 को माननीय उच्च न्यायालय द्वा रा आरक्षण के संबंध में पारित आदेश को असंवैधानिक करार देते हुए छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों के 32% आरक्षण को घटाकर 20% किए जाने का विरोध करते हुए महामहिम राज्यपाल महोदया, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नाम से ज्ञापन उदयपुर में सौंपा गया है। जिसमें बताया गया कि विगत समय में चूंकि अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण प्रतिशत जनसंख्या के अनुपात में 32% है। जिसे वर्तमान न्यायालयीन निर्णय अनुसार घटाकर 20% कर दिया गया है। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति वर्ग बाहुल्य राज्य है। तथा साथ ही वर्तमान में कुछ और जातियों को अनुसूचित जनजाति वर्ग में समायोजित किया गया है। जिसके कारण जनसंख्या और भी बढ़ चुकी है। इसके बावजूद आदिवासियों के आरक्षण प्रतिशत को घटाया जाना अनुसूचित जनजाति वर्ग के अहित में है, जो पूरी तरह से अनुसूचित जनजाति वर्ग के साथ अन्याय एवं धोखा हुआ है। इस निर्णय से पूरे आदिवासी समुदाय में आक्र श व्याप्त है। अनुसूचित जनजाति | समुदाय जनसंख्या के अनुपात । में आरक्षण प्रतिशत को बरक रार रखने की मांग कर रहा है।
इस अवसर पर अनुसूचित – जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ उदयपुर के ब्लॉक अध्यक्ष अनिल टोप्पो, नानसाय मिंज, नरहरी सिंह, जसवंत, कुमार, इंदर साय, जैसवाल, सिंह सोरी, शिवचरण, नारायण के साथ जनजातीय समुदाय एवं संगठन के सभी सदस्य उपस्थित थे।