Monday, August 25, 2025
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कोया पुनेमी  समुदाय को सशक्त बनाने हेतु आगे आएं महिलाएं – बुद्धम श्याम

 बुध्दम श्याम (अम्बिकापुर) :- कोया पुनेम गोंडवाना महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं कोया पुनेमी प्रचारक ने महासभा के पदादिकारियों से अपील की है , कि जिस तरह कोया पुनेम से प्रेरित होकर जंगोरायतार  दाई प्रथम गोटूल की शिक्षिका बनी । और बहुत सी मातृशक्तियों को अपनी शिष्या( चेलानी) बनाकर गोंडी समुदाय की मे जा जाकर अलग अलग गोटूल की स्थापना की । एजुकेशन को लेकर , स्वास्थ्य संबधी वैद्य शालाएं  ,अनाज भण्डारणसंबंधित  सभी कार्य किए। इन मातृशक्तियों में कली कंकालिन दाई, जंगोरायतार दाई ,गांव गोसाइन खेरोदाई, पंडरीदाई, कुसार दाई, पुंगार दाई, मुंगुर दाई, कोयताड़ दाई, मनको दाई, सनको दाई , पालो दाई, इत्यादि दाइयों ने गोंडवाना को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  इनके बिना गोंडवाना की कल्पना भी नहीं की जा सकती । सामुदायिक व्यवस्था की जननी थी हमारी दाइयां। जो आज अलग अलग गढों की दाईयां बनकर डोंगर गढ़ में डोंगरहिन गोंड डोकरी दाई विराजमान है तो कही सूरकोट में मनको दाई स्वरूप महामाया दाई स्थापित हैं। इन दाईयों ने पूरा जीवन गोंड समुदाय की /कोया व्यवस्था पर चलकर  पुनेम का पथ अपनाया और सभी गण्डजीवों की सेवा की। आज उसी जब्बे की आवश्यकता है। आज हमारी मातृशक्तियों को समाजहित में आगे आने की आवश्यकता है और दुर्गा को छोड़कर अपने समाज की दुर्गति पर ध्यान देने की आवश्यकता है। मै समझता हूं बिन मां के बच्चों का क्या होगा? समाज भटक रहा । क्योकि हमारे लोग बाहरी मानसिकता बाहरी विचारधारा के कारण हमारी दाइयां घर में कैद हैं? उन्हे हमने केवल उपभोग की वस्तु समझा है। जबकि वो सहभागिनी है। वो समाज की दाई है। उन्हे उन्मुक्त करिए और समाज की जरूरत है कि बिन दाई के समाज अपाहिज हो चुका है। इसलिए मै आवाहन करता हूं कि मातृशक्तियों को अपने सभाओं मे मीटिंगों में सम्मिलित करें तथा उन्हे समाज का प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी दे। घर मे संस्कार बच्चो मे तभी आएगा जब मातृशक्तियां पुनेम को समझेंगी। ऐसा तब होगा जब प्रबोधन में मातृशक्तियां ज्यादा से ज्यादा सम्मिलित होंगी। आज मातृशक्तियों का गोटूल चलाना होगा उन्हे संस्कारित करना होगा तभी हमारा समाज आगे बढ़ेगा।
जिस तरह क्रांति की दाई जंगोराय थी उसी क्रांति की दाई हमें हर घर से तलाशनी होंगी। हमे हर घर से कली कंकाली दाई को ढूंढना होगा । आप सभी पदाधिकारी गण सहयोग करे  तभी हम इस कारवां को बढ़ा सकते है। आपके सहयोग के बिना यह संभव नहीं। मै तो एक अदना सा  कोयतुड़ विचारक हूं।। यदि आप पुनेम को असलियत में अपनाना चाहते हो या समुदाय को संगठित करके एक विचारधारा एक दृष्टिकोण में लाना चाहते हो तो पहला काम मातृशक्तियों को आगे लाओ  और उन्हे नेतृत्व करने दो।  साथ ही मातृशक्तियों से भी अपील करना चाहता हूं कि आप अपना कर्तव्य को समझे और अपने समुदाय की रक्षा हेतु कमर कसे। पुनेम को जीवित करने में आप सभी सहयोग दे। जब कोया पुनेम की स्थापना गोंडी मुठवाल पहांदी पाड़ी कुपाड़  लिंगों  ने की तब आप  ने ही जंगो बनकर उनकी मदद की और सर्वप्रथम गोटूल की स्थापना कर उन तैतिस कोट के बच्चों को दीक्षित किया। अब आज के बच्चों को कौन दीक्षित करेगा। इसलिए मेरे समुदाय की दाइयों मेरे इस आवाहन पर आप अवश्य ध्यान दें ।
कोया पुनेम की जब स्थापना लिंगो ने की तब मातृशक्तियों ने अर्थात क्रांति की दाई जंगो , रायताड़ , कली कंकाली दाई, खेरो दाई, पंडरी दाई, पुंगार दाई , मुंगुर दाई,कुशार दाई, इत्यादि सभी दाइयों ने सहयोग किया था ।
 आज उसी सहयोग की आवश्यकता है। आज हमारा समुदाय अलग अलग टुकड़ो मे जी रहा । ऐसे मे आज आपके बिना हम अदना सा महसूस कर रहे। हे दाइयो आपसे मेरा अपील है आप घर से निकलिए और सामाजिक उत्तरदायित्व निभाइए । आप फिर से जंगो बनिए , आप फिर से कंकाली बनिए, आप फिर से मनको दाई  बनिए । आपको आवाहन करता हू आप सभी मातृ शक्तिया कोया पुनेम को पुनर्स्थापित करने में अवश्य आगे आएंगी।
कोया पुनेम में दाई शक्तियां पहले भी नेतृत्व करती थी । किंतु आज  सब भूल चुकी है।
 सर्वप्रथम गोंडवाना गोटूल की स्थापना जंगोरायतार दाई थी जो कि एक गोंड दाई थी।
 सर्वप्रथभ गांव बसाने वाली दाई खेरो दाई थी गांव गोसाइन दाई और इन गावों मे घर बनाने की दक्षता मुंगुर दाई व कुशार दाई के पास था ।
ऐसे अनेको उदाहरण मेरे पास है। इसलिए मै पुनः आप सभी पदादिकारियों से अपील करता हू कि आप मेरी बातों को गंभीरता से लें और हमारी दाईयों को समाज की जिम्मेदारी दे । और  इस पंचखण्ड धरती की गोंडवाना दाईयों की तलाश आरंभ करे तथा इन्हे कोया पुनेम से जोड़कर  हमारे (संयुंग नेंगताल) – से जोड़कर प्रबोधन हेतु कोयतुड़ दाई सगा गोटूल मांदी का आरंभ करें।  ताकि इनके अंदर लीडरशिप पैदा हो । इनको प्रोत्साहित , प्रतिनिधित्व , समाज में पुनेमिक बनाने पर रणनीति बनाये।ताकि हमारा समुदाय  को एक सुत्र में पिरोया जा सके । एक भाषा ,एक विचार ,एक दृष्टिकोण, एक आचरण , एक आदर्श स्थापित कर सके।
मीकुन समदिर्क सगापाडिना, सिहानोड़क, दाईकुन , तम्मूडाहक , सबय कुन जीवातल सेवा जोहार अव्वी।
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