कोरिया, छत्तीसगढ़। देश के पिछड़े हुए समुदायों अर्थात अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्गों को मुख्यधारा में जोड़ने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1980 में छठी पंचवर्षीय योजना के दौरान अनुसूचित जाति विशेष घटक योजना (SCP) एवं अनुसूचित जनजाति उपयोजना (TSP) प्रारंभ की गई थी। इन योजनाओं का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि केंद्र एवं राज्य सरकारें अपनी योजनागत बजट का एक निश्चित हिस्सा अनुसूचित जाति एवं जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में आबंटित करें, ताकि इन वर्गों का सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास सुनिश्चित हो सके। वर्ष 2005 में राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा यह बड़ा नीति निर्णय लिया गया कि अनुसूचित जाति विशेष घटक योजना एवं ट्राइबल सब प्लान के अंतर्गत आवंटित राशि वर्ष के अंत में समाप्त (laps) नहीं होगी और यह भी तय किया गया कि अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य वर्गों के बीच जो सामाजिक-आर्थिक खाई है, उसे अगले दस वर्षों में पाट दिया जाएगा। इस दिशा में प्लानिंग कमीशन ने वर्ष 2005 एवं 2013 में सभी राज्यों को आवश्यक दिशा-निर्देश भेजे थे, ताकि इस नीति का कड़ाई से पालन हो।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा 2013 में जारी परिपालन निर्देशों के अनुरूप आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग ने सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश जारी किए कि इन योजनाओं से संबंधित बजट का उपयोग पारदर्शी एवं उद्देश्यपूर्ण तरीके से किया जाए। बजट विश्लेषण से यह तथ्य सामने आया कि हर वर्ष अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों की आजीविका, शिक्षा एवं जनकल्याण के लिए आबंटित बजट का लगभग 30 से 35 प्रतिशत हिस्सा खर्च नहीं हो पाता, जिससे योजनाओं का पूरा लाभ लक्षित वर्गों तक नहीं पहुंच पाता। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए समाज के विभिन्न संगठनों ने इस बजट के सही उपयोग, दावे एवं निगरानी को लेकर एक व्यापक विमर्श की आवश्यकता महसूस की। इसी उद्देश्य को साकार करने के लिए दिनांक 19 अक्टूबर 2025 को कोरिया जिले के ग्राम पोंड़ी बचरा स्थित सर्व आदिवासी सामुदायिक भवन में सामाजिक संगठन सर्व आदिवासी समाज जिला इकाई कोरिया (छत्तीसगढ़) द्वारा एकदिवसीय “आर्थिक न्याय कार्यशाला” का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला जनजातीय समाज की मांग पर आयोजित की गई, जिसमें कोरबा, कोरिया, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर और सूरजपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों से बड़ी संख्या में समाज के प्रतिनिधियों, जनप्रतिनिधियों, विद्यार्थियों और मातृ-पितृ शक्तियों ने भाग लिया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति और जनजाति उपयोजना बजट की भूमिका, संवैधानिक प्रावधानों और बजट की निगरानी पर व्यापक जानकारी देना था। कार्यक्रम में संविधान के अनुच्छेद 38(2) एवं 46 के अंतर्गत एससी-एसटी विशेष बजट उपयोजना की नीतियों, अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु केंद्र प्रायोजित योजनाओं की भूमिका तथा ट्राइबल सब प्लान के माध्यम से आर्थिक उत्थान के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही प्रतिभागियों को ऑनलाइन आरटीआई (RTI) फाइल करने की प्रक्रिया की व्यावहारिक जानकारी भी दी गई, ताकि वे सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकें।
कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित रहे श्री विनोद कुमार कोशले (संवैधानिक एवं बजट मामलों के जानकार तथा सोजलिफ़ के सह-संस्थापक) ने ट्राइबल सब प्लान फंड के अंतर्गत संचालित योजनाओं की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जनजातीय समाज को न केवल योजनाओं की जानकारी होनी चाहिए, बल्कि उन्हें बजट में दावा, जांच और दखल करने का अधिकार भी समझना होगा। उन्होंने संविधानिक दृष्टिकोण से बताया कि यह बजट कोई दया या सहायता नहीं बल्कि जनजातीय समुदाय का अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 275 और 46 में निहित है।
कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के संयुक्त कलेक्टर श्री लिंगराज सिदार, जिन्होंने शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी साझा की और कहा कि यदि समुदाय सजग रहेगा तो योजनाओं का अधिकतम लाभ सुनिश्चित किया जा सकता है। कार्यशाला में खड़गवां के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) श्री विजेंद्र सारथी, जिला पंचायत अध्यक्ष कोरिया श्री मोहित राम पैकरा, सोजलिफ सदस्य श्री बनवारी लाल पेन्द्रो, श्रीमती सुषमा पैकरा, सर्व आदिवासी समाज कोरिया के अध्यक्ष श्री गनपत प्रसाद टोप्पो, उपाध्यक्ष श्रीमती नीरा कुशरो, कोषाध्यक्ष श्री जी.एस. पैकरा, सचिव श्री विजय ठाकुर और जिला प्रवक्ता श्री भूपसाय मरकाम सहित बड़ी संख्या में समाज के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन श्री चंद्रिका प्रसाद पैकरा द्वारा किया गया, जिन्होंने अपने संयमित एवं सारगर्भित संचालन से पूरी कार्यशाला को सजीव बनाए रखा। कार्यशाला का निष्कर्ष यह रहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति उपयोजना बजट (SCP-TSP) केवल एक वित्तीय प्रावधान नहीं, बल्कि यह सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता का संवैधानिक उपकरण है, जिसके माध्यम से भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि देश के वंचित तबकों को विकास के सभी अवसर समान रूप से प्राप्त हों।

