Raipur Chhattisgarh/ छत्तीसगढ़ की राजनीति में बुधवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब राजभवन के भव्य छत्तीसगढ़ मण्डपम् में तीन नए मंत्रियों को राज्यपाल श्री रमेन डेका ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह गरिमामय माहौल में सम्पन्न हुआ, जिसमें प्रदेश की सत्ता और प्रशासन के शीर्ष चेहरे मौजूद रहे।राज्यपाल श्री रमेन डेका ने सर्वश्री गजेन्द्र यादव, राजेश अग्रवाल एवं गुरु खुशवंत साहेब को मंत्री पद की शपथ दिलाई। इन तीनों नेताओं के मंत्रीमंडल में शामिल होने से न केवल प्रदेश की राजनीतिक संतुलन को मजबूती मिलेगी, बल्कि संगठनात्मक और प्रशासनिक दृष्टि से सरकार को नई ऊर्जा भी प्राप्त होगी।
समारोह में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय विशेष रूप से उपस्थित रहे। उनके साथ उप मुख्यमंत्री द्वय श्री अरुण साव और श्री विजय शर्मा भी मौजूद थे। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मंत्रीपरिषद के सदस्यगण, विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायकगण, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि और उच्च प्रशासनिक अधिकारी इस अवसर के साक्षी बने। पूरे राजभवन का वातावरण शपथ ग्रहण के समय तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री का अभिनंदन करते हुए तीनों नए मंत्रियों के राजनीतिक अनुभव और समाजसेवा को रेखांकित किया। राजभवन सचिव डॉ. सी.आर. प्रसन्ना सहित प्रशासनिक अमले के कई अधिकारी भी इस मौके पर उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि तीनों नए मंत्री लंबे समय से सक्रिय राजनीति में हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में जनसेवा के लिए पहचाने जाते हैं। गजेन्द्र यादव संगठनात्मक सुदृढ़ता और जनसंपर्क में निपुण माने जाते हैं। राजेश अग्रवाल व्यापार और उद्योग जगत की आवाज रहे हैं और अब सरकार में शामिल होकर प्रदेश की आर्थिक नीतियों में योगदान देंगे। वहीं गुरु खुशवंत साहेब अपने समाजिक नेतृत्व और जमीनी स्तर पर किए गए कार्यों के लिए व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं। राज्यपाल द्वारा दिलाई गई यह शपथ न केवल संवैधानिक प्रक्रिया का प्रतीक रही, बल्कि यह प्रदेश के मंत्रिमंडल में एक नई ऊर्जा और दिशा का संदेश भी देती है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने तीनों मंत्रियों को शुभकामनाएं देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि वे जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे और प्रदेश के विकास में अहम भूमिका निभाएंगे।
राजभवन में सम्पन्न यह शपथ ग्रहण समारोह छत्तीसगढ़ की राजनीतिक और प्रशासनिक परंपरा का महत्वपूर्ण अध्याय बन गया, जहां लोकतंत्र की गरिमा और जनसेवा की भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई।
