Thursday, July 31, 2025
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संगीत सम्राट महाराजा चक्रधर सिंह को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाए–आर एन ध्रुव

हम सब भारतवासी के लिए यह गौरवशाली दिवस होगा जब अद्भुत प्रतिभा के धनी संगीत सम्राट महाराजा चक्रधर सिंह को भारत रत्न मिलेगा। महाराजा चक्रधर सिंह छत्तीसगढ़ में रायगढ रियासत के राजा एवं गोंड वंश के शासित बरगढ़ के प्रमुख थे। वे 1924 से 1947 तक राजगढ रियासत के शासक थे। राजा चक्रधर सिंह का जन्म सन् 19 अगस्त 1905 में हुआ था और देहावसान दिनांक 7 अक्टूबर 1947 को हुआ। इनकी शिक्षा राजकुमार महाविद्यालय रायपुर से हुई। राजा चक्रधर सिंह ने संगीत के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया । ये गायन, वादन, अभिनय एवं नर्तन के विशेषज्ञ थे। इन्होंने संगीत एवं नृत्य विधा में बहुमूल्य कृतियों की रचना की। ये बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न थे , अतः साहित्य , संगीत और नृत्य के प्रति समर्पित थे । उनकी विशेष रुचि के विषय थे – तबला , पखावज और नृत्य । संगीत के प्रति यह संस्कार उन्हें पितृक परम्परा से प्राप्त हुआ । इनके पिता राजा भूपदेव सिंह संगीत के मर्मज्ञ थे और चाचा पीलालाल और लालनारायण सिंह तबला और पखावज के कलाकार थे । लालनारायण सिंह से चक्रधर सिंह को संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा मिली । तत्पश्चात इन्होनें ठाकुर लक्ष्मण सिंह , यू० मुनीर खान और पंडित जयलाल से तबला , हनुमान प्रसाद , धंधे खां तथा शिवनारायण से नृत्यः नन्हे बाबू से गायन और पर्वत सिंह तथा ठाकुर प्रसाद से पखावज की शिक्षा प्राप्त की ।

राजा चक्रधर सिंह का दरबार संगीत की ऐसी राजधानी बन गई थी , जिसके देश के गायक , वादक और कलाकार एकत्र हो गए थे । जिस कलाकार को भी उनकी गुणग्राहकता का समाचार मिलता , वही उनके दरबार में खिचा चला आता । जो प्रसिद्ध कलाकार लंबे समय तक इनके आश्रम में रहे , उनके नाम हैं पंडित चुन्नीलाल , नत्थूलाल , सीताराम , झंडे खां , शिवनारायण , हाजी मुहम्मद , नन्हेबाबू , इनायत खां , राजा लक्ष्मण सिंह , पंडित जयलाल , अच्छन महाराज , मोहनलाल , सोहनलाल , पंडित सुखदेव , सुंदरप्रसाद , हनुमान प्रसाद , ज्योतिराम , मोतीराम , मुनीर खां , करामतुल्ला खां , आबिदहुसैन खां , 30 अलाउद्दीन खां , प्यारे साहब , अहमदजान थिरकवा , पर्वत सिंह , संगीताचार्य कवि भूषण इत्यादी ।

वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार ( छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग ) के द्वारा महाराजा चक्रधर सिंह के सम्मान में ‘चक्रधर सम्मान’ दिया जाता है।

सांस्कृतिक योगदान :–यहां के राजा चक्रधर सिंह ने रायगढ की इस सांस्कृतिक विरासत को सबसे मजबूत करने का काम किया । चक्रधर सिंह अच्छे तबला और सितार वादक होने के साथ तांडव नृत्य में भी निपुण थे। उन्होंने कत्थक के लखनऊ और जयपुर घराने से जुड़े गुरूओं को रायगढ़ बुलाया। कत्थक की इन दोनों शैलियों के मेल से उन्होंने कत्थक की एक नई “रायगढ़ शैली” की शुरूआत की। राजा चक्रधर ने संगीत और काव्य पर बहुत से ग्रंथों की रचना की थी। 

प्रमुख रचना :–नर्तक सर्वस्व , टाळतोय निधि, तलबल पुष्पकर,राजरत्न मंजुस ,मुराजपरन पुष्पकर है।

उर्दू भाषा पर भी उनकी पकड़ बेहतरीन थी। उन्होंने “फरहत” के उपनाम से उर्दू भाषा में गज़लें भी लिखीं। उनका जन्म गणेश चतुर्थी के दिन हुआ था। उनके पिता ने उनके जन्म की खुशी में गणेश चतुर्थी के दिन शहर में उत्सव मनाना शुरू किया था। राजा चक्रधर की याद में 1985 से गणेश चुतुर्थी के अवसर पर यहां के राजघराने शास्त्रीय संगीत और नृत्य महोत्सव / उत्सव के रूप में गणेश मेला (चक्रधर समारोह) शुरू कर दिया। इसमें देश के बड़े कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते थे। बाद में साल 2001 में जिला प्रशासन ने उत्सव की जिम्मेदारी ली। यह गणेश मेला इस राज्य में एक यश त्योहार बन गया। विश्व विख्यात महान शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान को शहनाई वादन के क्षेत्र में भारत रत्न मिला जो की महाराजा चक्रधर सिंह के शादी में शहनाई बजाए थे।

अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा के राष्ट्रीय सचिव आर एन ध्रुव ने महामहिम राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी, भारत सरकार नई दिल्ली, माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली को अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महासभा की ओर से अनुशंसा सहित निवेदन किए हैं कि देश में जनजाति गौरव का पर्व मनाया जा रहा है, ऐसे समय में आदिवासी समाज के गौरव गायन, वादन, नृत्य एवं अभिनय के क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा के धनी गोंड महाराजा चक्रधर सिंह को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जावे।

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