Friday, July 4, 2025
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सफलता की कहानी: सूर्य घर योजना से राजेन्द्र कुमार की आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा कदम

राजेन्द्र का घर बना अब मिनी पावर प्लांट हर किरण लाती है उम्मीद की नई किरण

एमसीबी, छत्तीसगढ़/ जिले के खड़गवां विकासखंड के वार्ड क्रमांक 11 निवासी राजेन्द्र कुमार की कहानी आज जिले भर में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को स्वच्छ ऊर्जा की ओर अग्रसर करने के लिए शुरू की गई “पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना” का लाभ उठाकर राजेन्द्र कुमार ने न केवल अपने घर की बिजली जरूरतों को सौर ऊर्जा से पूरा करना शुरू किया है, बल्कि भविष्य में आर्थिक बचत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बड़ा योगदान दे रहे हैं। उनके घर पर तीन किलोवाट क्षमता का रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित किया गया है, जिसकी नेट मीटरिंग की प्रक्रिया 4 अप्रैल 2025 को पूर्ण हुई। इसके बाद से ही राजेन्द्र कुमार के घर की छत अब ऊर्जा उत्पादन का केंद्र बन चुकी है, जहां से वे अपनी आवश्यकताओं के लिए बिजली प्राप्त कर रहे हैं और शेष अतिरिक्त बिजली ग्रिड को वापस देकर आय भी प्राप्त कर रहे हैं। इस परिवर्तन ने न केवल उनके बिजली बिलों में भारी कटौती की है, बल्कि अब वे पूरी तरह से स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित जीवनशैली की ओर बढ़ चुके हैं। राजेन्द्र कुमार बताते हैं कि पहले उन्हें हर महीने भारी भरकम बिजली बिल चुकाना पड़ता था, लेकिन अब सोलर सिस्टम लगवाने के बाद न सिर्फ यह खर्च शून्य हो गया है बल्कि अब उन्हें अतिरिक्त आय भी मिल रही है। साथ ही सौर ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण के प्रति उनकी जिम्मेदारी भी पूरी हो रही है। पीएम सूर्य घर योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 फरवरी 2024 को की गई थी, जिसका उद्देश्य देशभर में घरेलू उपयोग के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को कम करना है। यह दुनिया की सबसे बड़ी घरेलू रूफटॉप सोलर योजना है जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार घरों में सोलर पैनल लगाने के लिए 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान करती है। इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2027 तक देशभर में एक करोड़ घरों में सोलर सिस्टम स्थापित किए जाएं जिससे हर परिवार को प्रतिमाह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिले और अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में डालकर आम नागरिक आय का एक नया स्रोत भी अर्जित कर सकें। सरकारी अनुमानों के अनुसार इस योजना से हर वर्ष लगभग 75,000 हजार रुपये की बचत संभव होगी और कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी जिससे जलवायु परिवर्तन की दिशा में भारत का योगदान और मजबूत होगा। योजना का सीधा असर उन परिवारों पर दिखेगा जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और हर माह बिजली के बिल का भार उठाने में असमर्थ रहते हैं। ऐसे परिवार अब सोलर पैनल के जरिए न केवल मुफ्त बिजली प्राप्त करेंगे बल्कि एक स्वच्छ ऊर्जा उपयोगकर्ता के रूप में पर्यावरण संरक्षण में भागीदार भी बनेंगे। राजेन्द्र कुमार जैसे लोगों की सफल कहानियां यह साबित करती हैं कि सरकार की योजनाएं जब सही जानकारी और मार्गदर्शन के साथ आम नागरिकों तक पहुंचती हैं, तो वह जीवन की दिशा ही बदल देती हैं। उनका यह कदम न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरक उदाहरण भी है। आज राजेन्द्र का घर सिर्फ बिजली का उपभोक्ता नहीं बल्कि एक मिनी पावर प्लांट बन चुका है, जो हर दिन अपने आसपास की दुनिया को रोशन कर रहा है। सूर्य की किरणें उनके लिए अब सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि उम्मीद, आत्मनिर्भरता और नए युग की ऊर्जा का प्रतीक बन गई हैं ।

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