नई दिल्ली/ एनओएचएम के तहत पहली राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सहभागिता कार्यशाला 9 जून को सफलतापूर्वक संपन्न हुई, जिसने भारत के एकीकृत एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को मजबूत करने के लिए सहयोगी मार्ग तैयार किया। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय सूद की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला ने राज्य सरकारों, विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और अन्य एजेंसियों के प्रतिनिधियों सहित विविध संबंधित पक्षों को एक मंच पर लाया। कार्यशाला की शुरुआत प्रोफेसर अजय सूद के उद्घाटन भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने मिशन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव सुश्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने इस पहल की सराहना करते हुए राज्यों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने हेतु प्रासंगिक संसाधनों को संरेखित करने की आवश्यकता पर बल दिया। स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने जटिल वन हेल्थ चुनौतियों से निपटने में बहु-क्षेत्रीय सहयोग, सिंड्रोमिक निगरानी और विषाणु युद्ध अभ्यास जैसे मॉक ड्रिल्स के महत्व को रेखांकित किया। पीएसए फेलो डॉ. सिंदुरा गणपति ने मिशन के उद्देश्यों और शासन तंत्र का संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत किया। गुजरात और केरल राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपनी वन हेल्थ गतिविधियों की प्रस्तुति दी, जिसमें शासन, संस्थागत तंत्र और निगरानी प्रगति को दर्शाया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के दौरान पीएसए ने “युवा सहभागिता कार्यक्रम” का शुभारंभ किया जो देश के युवाओं को वन हेल्थ मिशन से जोड़ने की एक पहल है। साथ ही एक डैशबोर्ड भी लॉन्च किया गया जिसे पीएसए की वेबसाइट के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है, जो वर्तमान में विकास के चरण में है और विभिन्न एजेंसियों की वन हेल्थ पहलों को प्रदर्शित करता है। कार्यशाला की गतिविधियां दो प्रमुख सत्रों में आयोजित की गईं, जिनमें मिशन के चार महत्वपूर्ण विषयों – शासन और नीति, निगरानी प्रणाली, प्रकोप जांच और प्रतिक्रिया तथा क्षमता निर्माण और डेटा साझाकरण – पर सार्थक चर्चा की गई। इन सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः डॉ. रेणु स्वरूप, डॉ. एन. के. अरोड़ा, लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. माधुरी कानिटकर और प्रोफेसर विजय चंद्रू ने की, जबकि राज्यों के साथ योजना सत्र की अध्यक्षता डॉ. परविंदर मैनी ने की। इन चर्चाओं का उद्देश्य मौजूदा चुनौतियों की पहचान, तालमेल बनाना और मानव, पशु एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए अधिक लचीले और एकीकृत दृष्टिकोण की actionable रणनीतियां तैयार करना था। प्रो. सूद ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अपने-अपने वन हेल्थ डैशबोर्ड और वेबसाइट बनाने और उसे केंद्रीय पोर्टल से जोड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने iGoT कर्मयोगी जैसे प्लेटफार्मों पर वन हेल्थ से संबंधित पाठ्यक्रम विकसित करने, डेटा मानकीकरण, और युवाओं की भागीदारी हेतु हैकाथॉन आयोजित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। एनसीडीसी, आईसीएमआर और डीएएचडी सहित विभिन्न एजेंसियों ने अपने निगरानी और सहयोग कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दीं। कार्यशाला का समापन रोग प्रकोप की स्थिति पर एक सिमुलेशन अभ्यास के साथ हुआ, जिसका समन्वय एनसीडीसी, एनएससीएस, एएमसी, आरवीसी और एनआईवी ने मिलकर किया।
प्रतिभागी समूहों ने परिकल्पित प्रकोप परिदृश्यों पर चर्चा करते हुए रोकथाम, प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लिए निर्देश दिए। कार्यशाला के दौरान आयोजित पोस्टर सत्र में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, ज्ञान भागीदारों और बहुपक्षीय संगठनों द्वारा शुरू की गई वन हेल्थ पहलों को प्रदर्शित किया गया। इस कार्यशाला में संबंधित मंत्रालयों, विभागों, 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, बहुपक्षीय एजेंसियों और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की।