लेखक/विचारक :- महेन्द्र सिंह मरपच्ची
छत्तीसगढ़, जिसे प्रकृति और सांस्कृतिक विविधता की धरोहर के रूप में जाना जाता है, अब एक और भूगर्भीय खजाने के कारण चर्चा में है। यह खजाना है गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क, जो 293 मिलियन साल पुराने समुद्री जीवन की कहानियां अपने भीतर संजोए हुए है। यह पार्क न केवल पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास को समझने का एक अद्वितीय केंद्र है, बल्कि गोंडवाना समुदाय के साथ ही अन्य समाज की सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण भी है। यह उद्यान मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्थित है और एशिया का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म पार्क माना जाता है। इस क्षेत्र में पाए गए जीवाश्म पर्मियन युग (Permian Period) के हैं, जब यह पूरा इलाका एक ठंडे समुद्र के नीचे डूबा हुआ था। इस पार्क का भूगर्भीय महत्व जितना गहरा है, उतनी ही गहराई से यह गोंडवाना लैंड की सामाजिक समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को भी दर्शाता है।
“गोंडवाना” शब्द का मूल संबंध गोंड जनजाति से है, जो मध्य और पूर्वी भारत में सदियों से निवास करती आई है। यह समुदाय छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड और तेलंगाना राज्यों में फैला हुआ है। गोंड समाज की सांस्कृतिक मान्यताओं में प्रकृति की प्रमुख भूमिका रही है। उनका विश्वास है कि धरती, जल, वनस्पति और जीव-जंतु सभी एक जीवन चक्र में आपस में जुड़े हुए हैं। भूगर्भीय रूप से, गोंडवाना नाम उस प्राचीन महाद्वीप से जुड़ा है, जिसमें भारत, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका एक साथ जुड़े हुए थे। लाखों वर्षों की भूगर्भीय हलचलों के बाद यह महाद्वीप खंडित हो गया और वर्तमान महाद्वीप अस्तित्व में आए। गोंडवाना समुदाय की लोककथाओं में अक्सर “समुद्री दाई” और “धरती दाई” का उल्लेख किया जाता है, जो जीवन की उत्पत्ति को जल और धरती के मिलन से जोड़ते हैं। गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क इन मान्यताओं को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है, क्योंकि यहां मिले जीवाश्म इस बात का प्रमाण हैं कि कभी यह क्षेत्र एक समुद्र के नीचे था। इस पार्क की खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एस.के. घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी। जब कोयले की परतों के बीच उन्हें समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले, तो यह खोज भूगर्भीय विज्ञान के लिए चौंकाने वाली थी। तब शोध में पता चला कि यह जीवाश्म पर्मियन युग के हैं और समुद्री जल में जीवन की विविधता को दर्शाते हैं। यह खोज इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के गोंडवाना भूखंड का हिस्सा है। इस क्षेत्र में मिले जीवाश्मों में बायवेल्व (Bivalve), गैस्ट्रोपॉड (Gastropod), ब्रैकियोपॉड (Brachiopod), क्रिनॉइड (Crinoid) और ब्रायोज़ोआ (Bryozoa) जैसे समुद्री जीव शामिल हैं। ये जीवाश्म उस समय की कहानी को बयान करते हैं, जब धरती पर ग्लेशियर पिघलने के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ गया था और यह क्षेत्र समुद्र में डूब गया था। गोंडवाना महाद्वीप की भूगर्भीय यात्रा लाखों वर्षों की है। इसका नाम “गोंडवाना लैंड” मध्य भारत के गोंडवाना क्षेत्र से लिया गया, जहां गोंड जनजाति का वर्चस्व था। गोंडवाना महाद्वीप में भारत, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया शामिल थे। लगभग 180 मिलियन वर्ष पहले जब पैंजिया (Pangaea) नामक महाद्वीप खंडित हुआ, तब गोंडवाना भी विभाजित हो गया और इसका भारतीय हिस्सा धीरे-धीरे यूरेशिया की ओर बढ़ा। यही भूगर्भीय यात्रा भारत में हिमालय की उत्पत्ति का कारण बनी। छत्तीसगढ़ में गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क गोंडवाना भूखंड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां पाए गए जीवाश्मों की तुलना जब ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका में मिले जीवाश्मों से की गई, तो समानताएं सामने आईं। इससे यह स्पष्ट होता है कि कभी ये सभी क्षेत्र एक ही महाद्वीप का हिस्सा थे।
गोंडवाना महाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में ऐसे जीवाश्म मिले हैं जो इस भूखंड की भूगर्भीय यात्रा को दर्शाते हैं। छत्तीसगढ़ का गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क इनमें सबसे प्रमुख है, लेकिन अन्य महाद्वीपों में भी इसके प्रमाण पाए गए हैं। ब्राजील का पराना बेसिन (Paraná Basin), जहां समुद्री जीवाश्मों के साथ-साथ गोंडवाना काल के कोयले की परतें मिली हैं, जो भारत के गोंडवाना बेसिन से मिलती-जुलती हैं। दक्षिण अफ्रीका का कारू बेसिन (Karoo Basin), जहां पर्मियन और ट्रायसिक युग के जीवाश्म पाए गए हैं, जिनमें कुछ जीव भारत में मिले जीवाश्मों से मेल खाते हैं। ऑस्ट्रेलिया का न्यू साउथ वेल्स (New South Wales), जहां गोंडवाना युग के समुद्री पौधों और जीवों के अवशेष मिले हैं, जिनमें कई संरचनाएं छत्तीसगढ़ के फॉसिल पार्क से समानता रखती हैं। अंटार्कटिका का अलेक्जेंडर आइलैंड (Alexander Island), जहां गोंडवाना महाद्वीप के समुद्री जीवाश्म मिले हैं, जो इस महाद्वीप के एक समय में जुड़े होने का प्रमाण देते हैं। ये सभी स्थल एक साथ मिलकर गोंडवाना महाद्वीप के विशाल समुद्री और भूगर्भीय इतिहास को रेखांकित करते हैं। गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क केवल भूगर्भीय दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह गोंड और अन्य जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर करता है। गोंड समुदाय की संस्कृति में प्रकृति का विशेष स्थान है। उनके गीत, कहानियां, लोककथाएं और कला प्रकृति और जीवन की उत्पत्ति की कहानियों से भरी हुई हैं। गोंड लोककथाओं में “समुद्री दाई” का उल्लेख एक ऐसी शक्ति के रूप में किया गया है, जिसने जीवन को जन्म दिया। यह पार्क इस मान्यता को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करता है कि यह क्षेत्र कभी समुद्र की गहराई में था और यहां जीवन का वास था।
गोंडियन चित्रकला में अक्सर वृक्ष, नदी, पहाड़ और जीव-जंतु प्रमुख रूप से चित्रित किए जाते हैं। ये चित्र प्रकृति की विविधता और उसके साथ गोंड समाज के अटूट संबंध को दर्शाते हैं। गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क में पाए गए जीवाश्म भी इसी विविधता को उजागर करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गोंड समाज की चित्रकला में दिखने वाले घुमावदार रेखाएं और समुद्री जीवों की आकृतियां उस कालखंड की स्मृति हो सकती हैं, जब यह क्षेत्र समुद्र में डूबा हुआ था। यह एक ऐसा सांस्कृतिक और भूगर्भीय संबंध है, जिसे अब वैज्ञानिक रूप से मान्यता मिल रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस भूगर्भीय और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और संरक्षित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। 2022 में इसे राज्य का पहला ‘‘मरीन फॉसिल पार्क‘‘ घोषित किया । जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार ने गोंडवाना शब्द हटा दिया था जिसके बाद कोया पुनेम् गोंडवाना महासभा छत्तीसगढ़ सामाजिक संगठन के साथ – साथ गोंडवाना समाज के अन्य संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अलग – अलग ज्ञापन देकर ‘‘मरीन फॉसिल पार्क‘‘ के जगह प्राचिन ‘‘गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क‘‘ का नाम दिलाया गया । इसके बाद सरकार ने इस प्राचिन ‘‘गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क‘‘ की विकास के लिए विशेष बजट आवंटित किया । इस पार्क को पर्यटन और अनुसंधान केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। स्थानीय गोंड समुदाय को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है। गोंडवाना कला, हस्तशिल्प और लोकसंस्कृति को पार्क के अनुभव का हिस्सा बनाया जा रहा है, ताकि पर्यटक जीवाश्मों के साथ-साथ गोंडवाना संस्कृति को भी समझ सकें। गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क ने छत्तीसगढ़ को वैश्विक भूगर्भीय मानचित्र पर स्थापित किया है। इस पार्क में मौजूद जीवाश्मों ने गोंडवाना महाद्वीप की भूगर्भीय यात्रा को और अधिक स्पष्ट किया है। ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और अंटार्कटिका में मिले जीवाश्मों की तुलना में यह पार्क अद्वितीय है क्योंकि यहां पर्मियन युग के शुरुआती समुद्री जीवन के प्रमाण सुरक्षित अवस्था में मिले हैं। गोंडवाना समुदाय की परंपराओं में प्रकृति का संरक्षण एक प्रमुख भूमिका निभाता है। उनके त्योहार, गीत और कहानियां प्रकृति की रक्षा का संदेश देती हैं। गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क उसी परंपरा का जीवंत प्रमाण है। यह पार्क हमें याद दिलाता है कि प्रकृति की हर परत में इतिहास छिपा हुआ है और इस इतिहास को समझना, सम्मान देना और संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। गोंडवाना समुदाय की पीढ़ियों ने जो प्रकृति संरक्षण की शिक्षा दी है, वही आज इस जीवाश्म पार्क के संरक्षण में दिखाई देती है।
गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को एक अंतरराष्ट्रीय भूगर्भीय शोध केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। वैज्ञानिक, शोधकर्ता और पर्यटक यहां आकर 293 मिलियन साल पुराने समुद्री जीवन को समझ सकते हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित पर्यटन और अवैध खनन से इस क्षेत्र को खतरा है। इसे रोकने के लिए सख्त संरक्षण नीतियों और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है । गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क न केवल छत्तीसगढ़ की एक भूगर्भीय संपदा है, बल्कि यह गोंडवाना समुदाय की अमर धरोहर का प्रतीक है। यह स्थान हमें सिखाता है कि अतीत की कहानियां केवल किताबों में नहीं, बल्कि धरती की परतों में भी दर्ज होती हैं। यह पार्क भूगर्भीय विज्ञान, सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति संरक्षण का एक अद्वितीय संगम है। गोंडवाना समुदाय और छत्तीसगढ़ की धरती को गर्व है कि उनके पूर्वजों की कहानियां अब चट्टानों और जीवाश्मों के रूप में आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी ।