Friday, April 18, 2025
Homeराज्यपीली सरसों की मुस्कान और मक्के की महक

पीली सरसों की मुस्कान और मक्के की महक

रायपुर: राजनांदगांव जिले के ग्राम जंगलेशर में खेतों की हरियाली और पीली सरसों के फूलों की मनोहारी छटा केवल प्रकृति की खूबसूरती नहीं, बल्कि किसानों के जीवन में आए सकारात्मक बदलाव की कहानी बयां कर रही है। फसल चक्र परिवर्तन और शासन की योजनाओं के लाभ से प्रेरित होकर, यहां के किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर मक्का, सरसों और गेहूं जैसी लाभदायक फसलों की ओर कदम बढ़ाए हैं।

धान की परंपरागत खेती से हटकर इस बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं प्रगतिशील किसान अशोक रामचंद्र गुप्ता, अमित गुप्ता और प्रसन्न कुमार जैन, जिन्होंने अपने कुल 50 एकड़ खेत में मक्का, 15 एकड़ में सरसों और 30 एकड़ में गेहूं की फसल लगाई है। इन किसानों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर यह साबित किया है कि कम पानी और कम लागत में भी बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है।

सरसों की खेती में प्रति एकड़ मात्र 5 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि उत्पादन 6-7 क्विंटल तक पहुंचता है, जिससे किसानों को लगभग 40-42 हजार रुपये का शुद्ध लाभ होता है। इसी तरह, मक्का की खेती से 60 हजार रुपये और गेहूं से 30 हजार रुपये प्रति एकड़ की आय हो रही है।

शासन द्वारा किसानों को मक्का और सरसों का उच्च गुणवत्ता वाला बीज निःशुल्क प्रदान किया गया है। साथ ही, कीट प्रबंधन और फसल देखभाल की तकनीकी जानकारी भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसका नतीजा यह है कि किसान अब धान की पानीखपत वाली खेती से हटकर मक्का, गेहूं और सरसों जैसी फसलों को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं।

जिला प्रशासन और कृषि विभाग द्वारा फसल चक्र परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए जल संवर्धन, स्वच्छता और संगोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य किसानों को कम पानी की जरूरत वाली फसलों की ओर आकर्षित करना है। इस बदलाव से न केवल पानी की बचत हो रही है, बल्कि जमीन की उर्वरता भी बनी हुई है। किसान अब चना, दलहन-तिलहन और उद्यानिकी फसलों को भी प्राथमिकता दे रहे हैं।

किसान अशोक रामचंद्र गुप्ता कहते हैं, धान के बदले मक्का और सरसों की खेती करने का फैसला सही साबित हुआ। कम लागत और कम मेहनत में अच्छा मुनाफा हो रहा है। वहीं, अमित गुप्ता का मानना है कि शासन की योजनाओं से हमें खेती के नए आयाम मिले हैं। ग्राम जंगलेशर की यह कहानी न केवल जिले के किसानों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह साबित करती है कि सही मार्गदर्शन और सरकारी सहयोग से खेती के तौर-तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है। पीली सरसों की मुस्कान और मक्के की महक अब हर किसान के जीवन में खुशहाली का प्रतीक बन रही है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

विज्ञापन

- Advertisment -

देश

Recent Comments

MarcusTweli on Home
WilliamCen on Home
WileyCruri on Home
Williamincal on Home
JasonGef on Home
Roberthef on Home
RussellPrell on Home
Tommykap on Home
DavidMiz on Home
SonyaKag on Home