रायपुर, छत्तीसगढ़: कुछ लोगों द्वारा हमारे बीच मौजूद पुरातात्विक साक्ष्य को मिटाने का षड्यंत्र किया जा रहा है। जो हम सबके लिए बहुत गंभीर चिंता का विषय है। पूरे देश में पुरातात्विक महत्व के स्थान पर मौजूद हाथी के ऊपर सिंह का निशान गोंडवाना राज चिन्ह ही है।
गोंडवाना कोई जाति सूचक नहीं बल्कि राष्ट्र सूचक है। इस देश में हूण आए, मंगोल आए, मुगल आए,अंग्रेज आए और न जाने कितने आक्रांताओ ने गोंडवाना पर आक्रमण कर गोंडवाना के चार स्तंभ साहित्य, धर्म ,भाषा और इतिहास पर आक्रमण किए । लेकिन ऐतिहासिक साक्ष्य की जड़े इतनी गहरी है की इसे अब कोई नष्ट नहीं कर सकता। इस चौथे स्तंभ के बदौलत गोंडवाना के सुशासन को लोग याद करेंगे।
गोंडवाना के चार स्तंभ साहित्य, धर्म,भाषा और इतिहास के बदौलत देश में गोंडवाना का वैभवशाली राज रहा है। लेकिन आज गोंडवाना के जिस स्तंभ पर राज खड़ा था, उसमें से तीन स्तंभ लगभग रसातल की ओर धीरे– धीरे जा रहा है। गोंडवाना के पहले स्तंभ साहित्य लगभग न के बराबर हैं। अन्य विषयों पर लिखने वाले बहुत मिलेंगे लेकिन गोंडवाना पर साहित्य लिखने वाले आज समाज में न के बराबर है। गोंडवाना के दूसरे स्तंभ धर्म पर इतने आक्रमण हुए हैं की आज पुनः खड़ा होने में भारी समय लगेगा। गोंडवाना के तीसरा स्तंभ गोंडी भाषा के बोलने वाले लगभग कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित हो गए हैं। पहले पूरे गांव के गांव जहां गोंडी भाषा बोली बोलते थे आज स्थिति ये हो गया है कि वहां एक भी व्यक्ति गोंडी भाषा के जानकार नहीं है।
यत्र तत्र बिखरे गोंडवाना के चौथा स्तंभ इतिहास आर्कियोलॉजिकल एविडेंस पुरातात्विक साक्ष्य इस एक ही खंबे के सहारे गोंडवाना टिका हुआ है। यही एक ऐसा स्तंभ है जो बाकी के तीनों स्तंभों को पुनः खड़ा करने की ताकत रखता है।
ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पूरे देश में गोंडवाना के गढ़, किला, देव, देवालय चीख-चीख कर कह रहा है अतीत में गोंडवाना का वैभव कितना महान रहा होगा। जगह-जगह ऐतिहासिक स्थलों पर अंकित हाथी के ऊपर सिंह का निशान गोंडवाना राज को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। आज से 108 साल पहले 1916 में आई चेटरटन बिशप नागपुर और बेंजामिन रॉबर्टसन चीफ कमिश्नर ऑफ़ केंद्रीय प्रोविजंस सर इसाक पीटमेन एंड सन लिमिटेड अमीन कॉर्नर न्यूयॉर्क एवं मेलबॉर्न से प्रकाशित द स्टोरी ऑफ गोंडवाना में स्पष्ट उल्लेख है कि यह गोंडवाना का राज्य चिन्ह है ।
सामाजिक चिंतक आर एन ध्रुव ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हड़प्पा लिपि, गोंडवाना राज चिन्ह, पवित्र स्थल कचारगढ़ आदि अनेकों ऐतिहासिक स्थलो के बारे में अन्य इतिहासकारों द्वारा जो लिखने का प्रयास हो रहा है उसमें शुद्धता रहेगी उसकी गारंटी नहीं है। गोंडवाना के चौथे स्तंभ पर वर्तमान में इतिहास लिखने वाले लोगों ने अपने– अपने ढंग से इतिहास लिखकर समाज को परोसने का प्रयास कर रहे हैं उसके कारण गोंडवाना के चौथे स्तंभ ऐतिहासिक धरोहरों को भी बचा पाना हम सबके लिए कठिन चुनौती होने वाली है।