एमसीबी, छत्तीसगढ़/ कोया पुनेम गोंडवाना महासभा इंडिया द्वारा “इस परिवर्तनशील दुनिया में गोंडवाना संस्कृति का अस्तित्व क्या है?” विषय पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन महासभा के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष कोयतुर मनोज सिंह कमरो के मुख्य अतिथि और तिरुमाय मंगला ताई उइके (राष्ट्रीय अध्यक्ष, मातृशक्ति प्रकोष्ठ) के विशिष्ट अतिथि में हुआ। कार्यक्रम के विषयवस्तु के मुख्य वक्ता भरतपुर ब्लॉक इकाई अध्यक्ष तिरु. शंकर सिंह नेटी थे। छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष तिरु. राय सिंह श्याम के संचालन में वेबिनार सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
वेबिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि तिरु. मनोज सिंह कमरो ने कहा कि भारत में कोयतुर समुदाय आदिकाल से निवासरत है। इनका संबंध गोंदोला, गण्ड और कबिलाई व्यवस्था से है। इस व्यवस्था के दौरान यह भूमि अलग-अलग समय में कोयमुरी द्वीप, गंडो द्वीप, गोंडवाना, आर्यावर्त, भारत, हिंदुस्तान, और इंडिया के नाम से जानी गई। हालांकि, इन सभी बदलावों में एक समानता थी – कोयतुरियन सभ्यता। समय के साथ यह सभ्यता गोंडवाना की गोंडियन सभ्यता और आज के भारत में मूलनिवासी संस्कृति के रूप में पहचानी गई। उन्होंने कहा कि आज जो क्षेत्रीयता के आधार पर अलग-अलग समुदाय दिखते हैं, उनके पूर्वज एक ही – गोंड – थे।
मुख्य वक्ता तिरु. शंकर सिंह नेटी ने अपने संबोधन में कहा कि प्राचीन काल में गोंडवाना भू-भाग में गोंडी संस्कृति का अस्तित्व काफी प्रबल था। हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब गोंडवाना संस्कृति खतरे में पड़ गई। लगभग 3-4 दशक पहले, पेनवासी गोंडवाना रत्न दादा हीरा सिंह मरकाम और दादा मोतिरावण कंगाली ने गोंडवाना संस्कृति के बीज को पुनः अंकुरित कर समाज में स्थापित किया। आज गोंडवाना संस्कृति एक पौधे की तरह विकसित हो रही है। उन्होंने कहा कि पेनवासी दादा हीरा सिंह मरकाम के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज सिंह कमरो ने कोया पुनेम गोंडवाना महासभा जैसे प्रभावी मंच का निर्माण किया। यह मंच गोंडी संस्कृति को विकसित करने का बेहतरीन साधन है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से डॉ. कुलदीप सिंह श्याम, डॉ. राजकुमार शाह (बिहार), डॉ. मरावी, लंकेश्वर इरपाचे (मुंबई), अजीत प्रताप सिंह, बीरबल सिंह पोर्ते, राजेंद्र कोराम, भोला सिंह, मोहन सिंह परस्ते, सूरज लाल (मध्यप्रदेश), भगतराव, ज्ञानी, राजकुमार उमेश सिंह, रामचंद्र सिंह, भईया लाल मरकाम, दीनबंधु कुशराम, जीवन कोवे, उमेश गोंड, लाल सिंह मरावी, शियाराम धुर्वे, नत्थू वट्टी, सुमेर सिंह, तुलसीराम गौतम सहित अन्य कई लोग उपस्थित थे।

