नई दिल्ली/भारत सरकार देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को सहेजने और बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय अकादमियाँ, क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों, राज्य अकादमियों और अन्य सरकारी निकायों के साथ मिलकर देश के हर हिस्से, विशेष रूप से सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और आदिवासी क्षेत्रों तक अपनी पहुँच बढ़ा रही हैं। इस प्रयास से देश भर में एक जीवंत और समृद्ध कला पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो रहा है।
सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी) ने आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों तक अपनी पहुँच बढ़ाने के लिए गुवाहाटी, उदयपुर, हैदराबाद और दमोह में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए हैं। ललित कला अकादमी (एलकेए) ने स्वदेशी क्षेत्रों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं और आदिवासी कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कार्यों का प्रदर्शन करने का मंच प्रदान किया है। साहित्य अकादमी (एसए) भारतीय साहित्य को संरक्षित करने के लिए कारगिल, लक्षद्वीप, पोर्ट ब्लेयर, आइजोल, कोहिमा और पासीघाट जैसे स्थानों पर राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित कर रही है। साथ ही, उत्तर-पूर्व की गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अगरतला में मौखिक साहित्य केंद्र स्थापित किया गया है।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) ने भी सांस्कृतिक संरक्षण और प्रचार के लिए विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अपने केंद्रों का विस्तार किया है। इसके अलावा, उत्तर-पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NEZCC) आदिवासी कला और शिल्प के संवर्धन के लिए विशेष रूप से समर्पित है। इस बात की जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।