नई दिल्ली/ उत्तर पूर्वी भारत के समृद्ध परिदृश्य में, जहां परंपरा और आधुनिकता का संगम होता है, अष्टलक्ष्मी 2024 एक अभूतपूर्व सांस्कृतिक और आर्थिक उत्सव के रूप में उभरा है। इस आयोजन ने इस क्षेत्र के आठ राज्यों को एक मंच पर लाकर उनकी विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर, शिल्प कौशल और जैविक उत्पादों का प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि के अनुरूप यह आयोजन न केवल परंपराओं को संरक्षित करता है, बल्कि एक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
प्राकृतिक संपदाओं और जीआई टैग का महत्व
इस आयोजन में जैविक खेती और प्राकृतिक संसाधनों को वैश्विक पहचान दिलाने पर विशेष ध्यान दिया गया। पोषक अनाज, बांस, सुगंधित मसाले, और अन्य उत्पादों को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग के माध्यम से मान्यता दी गई, जो इन संपदाओं की वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा सुनिश्चित करता है। यह टैग न केवल इन उत्पादों की गुणवत्ता को प्रमाणित करता है, बल्कि स्थानीय किसानों और कारीगरों को आर्थिक मजबूती भी प्रदान करता है।
अरुणाचल प्रदेश में अदरक की विरासत
अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में उगाया जाने वाला आदि केकिर अदरक अपनी विशिष्ट सुगंध और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह उत्पाद न केवल पारंपरिक ज्ञान का प्रतीक है, बल्कि जैविक खेती की पद्धतियों के प्रति आदिवासी समुदायों की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इस क्षेत्र के अन्य उत्पाद जैसे वाकरो ऑरेंज और मोनपा मक्का ने भी जीआई टैग हासिल कर अपनी पहचान बनाई है।
सिक्किम में है जैविक कृषि का प्रेरणास्रोत
सिक्किम अपनी जैविक कृषि पद्धतियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां की दल्ले खुरसानी मिर्च, बड़ी इलायची, टेमी चाय, और सिक्किम का संतरा न केवल क्षेत्र की समृद्धि का प्रतीक हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार भी हैं। जीआई टैग इन उत्पादों की वैश्विक पहचान सुनिश्चित कर रहा है और स्थानीय समुदायों को सशक्त बना रहा है।
नागालैंड में है तीखी मिर्च की कहानी
नागालैंड की नागा किंग मिर्च दुनिया की सबसे तीखी मिर्चों में से एक है। इसे उगाने वाली नागा जनजातियों का अपनी भूमि और संस्कृति से गहरा जुड़ाव है। इस मिर्च के अलावा, नागालैंड के अन्य उत्पाद जैसे नागा ट्री टमाटर और चक हाओ चावल भी क्षेत्र की कृषि क्षमता को दर्शाते हैं।
असम में है समृद्ध कृषि धरोहर का विरासत
असम की उपजाऊ भूमि में उगने वाला काजी निमू अपने अनूठे स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। तेजपुर लीची, जोहा चावल, और बोडो केराडापिनी मसाले जैसे उत्पाद न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान हैं, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक संपदा का स्रोत भी हैं। जीआई टैग इन उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मान्यता दिला रहा है। वही अष्टलक्ष्मी 2024 ने उत्तर पूर्वी भारत की सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दृष्टि इस उत्सव में झलकती है। जीआई टैग न केवल इन उत्पादों को संरक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में भी सहायक साबित हो रहा है। यह आयोजन उत्तर पूर्वी भारत की समृद्धि और सतत विकास के लिए नए अवसरों के द्वार खोल रहा है।