उड़ीसा/पुरी के तट पर भारतीय नौसेना दिवस 2024 का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने भारतीय नौसेना के साहसिक ऑपरेशनल प्रदर्शन का अवलोकन किया और नौसेना के सभी जवानों और अधिकारियों को शुभकामनाएं प्रेषित की। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि 4 दिसंबर का दिन हमारे देश के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि यह दिन 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना की निर्णायक जीत और मातृभूमि की रक्षा में दिए गए बलिदानों की स्मृति का प्रतीक है। उन्होंने नौसेना के कर्मियों की निस्वार्थ सेवा और साहस की सराहना करते हुए कहा कि देश उनके बलिदानों के लिए सदैव कृतज्ञ रहेगा।
भारत की भौगोलिक स्थिति ने उसे एक महान समुद्री राष्ट्र के रूप में विकसित होने के लिए सभी आवश्यक तत्व प्रदान किए हैं। 5,000 वर्षों से भी पुरानी समुद्री विरासत और आधुनिक समुद्री बुनियादी ढांचा हमारी पहचान का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “भारत का गौरव, भाग्य और पहचान समुद्रों से ही परिभाषित होती है।” 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता पर विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नौसेना समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
राष्ट्रपति ने नौसेना में ‘नारी शक्ति’ के योगदान को रेखांकित करते हुए महिला अग्निवीरों को शामिल करने की पहल की सराहना की। उन्होंने ‘नाविका सागर परिक्रमा II’ के अंतर्गत आईएनएसवी तारिणी से विश्व की परिक्रमा करने वाली लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा का विशेष उल्लेख किया। राष्ट्रपति ने कहा कि यह पहल देश में महिला सशक्तिकरण के नए आयाम स्थापित कर रही है।भारतीय नौसेना दिवस 2024 का यह आयोजन हमारे जल-सेना की शक्ति और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। राष्ट्रपति ने नौसेना के प्रति देश की कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि हर भारतीय उनकी सेवा और बलिदान को नमन करता है।