नई दिल्ली/ वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच में तेजी और अंतर-विभागीय सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समन्वय बैठक आयोजित की। बैठक में डीएफएस के सचिव श्री एम. नागराजू, सीबीआई निदेशक श्री प्रवीण सूद, बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी सलाहकार बोर्ड (एबीबीएफएफ) के अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ, मुख्य सतर्कता अधिकारी, गृह मंत्रालय, डीओपीटी, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और सेंट्रल रजिस्ट्री ऑफ सिक्योरिटाइजेशन एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड सिक्योरिटी इंटरेस्ट ऑफ इंडिया (सीईआरएसएआई) के प्रतिनिधि शामिल हुए।
बैठक में बैंकिंग धोखाधड़ी की रोकथाम और जांच प्रक्रिया को तेज करने पर विशेष जोर दिया गया। सरकार ने बैंक धोखाधड़ी को एक गंभीर चुनौती माना है और इसके समाधान के लिए दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) और राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (NARCL) जैसे कदम उठाए हैं। इन उपायों का उद्देश्य न केवल दबावपूर्ण बैंकिंग परिसंपत्तियों का समाधान करना है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता और प्रदर्शन में सुधार लाना भी है। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि धोखाधड़ी मामलों की तेजी से जांच का निवारक प्रभाव बैंकिंग क्षेत्र के लिए अत्यंत लाभकारी होगा। इसके लिए सीबीआई और पीएसबी के बीच सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता बताई गई। सीबीआई और डीएफएस ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियों में बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच में हुई प्रगति और परिचालन मुद्दों पर प्रकाश डाला। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 में संशोधन का सकारात्मक प्रभाव भी चर्चा का मुख्य विषय रहा। इन संशोधनों ने बैंकरों को ईमानदारी से निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया है और जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाई है।
बैंकरों और सीबीआई के बीच नियमित संवाद सुनिश्चित करने के लिए एक साझा मंच की स्थापना का निर्णय लिया गया। बैठक के दौरान पीएसबी एलायंस द्वारा ‘एसेट ट्रेसिंग’ आईटी एप्लिकेशन पर प्रस्तुति दी गई। यह एप्लिकेशन धोखाधड़ी के मामलों की पहचान और समाधान में सहायक होगा। सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से इस एप्लिकेशन की उपयोगिता का मूल्यांकन करने का आग्रह किया गया । बैठक के अंत में सभी हितधारकों ने धोखाधड़ी की रोकथाम और दोषियों के खिलाफ समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास करने की सहमति व्यक्त की। इस पहल का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता लाना और धोखाधड़ी के मामलों की जांच में परिचालन क्षमता को बढ़ाना है।