दिनेश नेताम, गरियाबंद/ जोहार आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ की स्थापना वर्ष 2020 में हुई थी। मंच ने अपनी शुरुआत से ही आदिवासी समाज की संस्कृति, कला, और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। इसी क्रम में मंच का प्रदेश स्तरीय वार्षिक सम्मान समारोह और कला महोत्सव इस वर्ष 24 नवंबर, रविवार को गरियाबंद के इंडोर स्टेडियम में प्रातः 10 बजे से भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आदिवासी समाज के सभी पदाधिकारी, युवक-युवतियां और प्रदेश स्तर के कलाकार अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे। इस आयोजन का उद्देश्य आदिवासी समुदाय के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कला को संरक्षित करते हुए युवाओं की प्रतिभा को मंच प्रदान करना है।
इस आयोजन के अंतर्गत आदिवासी संस्कृति से संबंधित विविध कलाओं का वृहद प्रदर्शन किया जाएगा। इनमें चित्रकला, रंगोली, मूर्तिकला, बांस कला, सूक्ष्म कला (माइक्रो आर्ट), पत्तीकला (लिप आर्ट), कागज कला, बोनसाई कला, पत्थर कला, लकड़ी कला, कौड़ी कला, कलगी कला, धान कला, पैरा कला जैसी अद्भुत कृतियों के साथ-साथ आदिवासी समाज की विलुप्त होती कलाओं को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। कार्यक्रम में लोकगीत, लोकगाथा, पारंपरिक वाद्य यंत्र, लोकनृत्य और विलुप्त हो रहे आदिवासी संगीत की भी झलक मिलेगी। इस महोत्सव के माध्यम से आदिवासी युवाओं और युवतियों के हुनर को प्रोत्साहन देते हुए उनकी कलात्मक क्षमता को निखारा जाएगा।
आदिवासी समाज की अस्मिता और संस्कृति का संरक्षण
जोहार आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ का सदैव यह प्रयास रहा है कि आदिवासी समाज की विशिष्ट पहचान, जिसमें उनकी रीति-रिवाज, बोली-भाषा, खानपान, वेशभूषा और परंपराएं शामिल हैं, को संरक्षित किया जाए। आज के आधुनिक समय में समाज के लोग अपनी पुरानी परंपराओं से दूर हो रहे हैं। इस मंच का उद्देश्य इन परंपराओं को सहेजते हुए उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है।
कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समाज के प्रतिभाशाली व्यक्तियों को उनके योगदान और उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया जाएगा। इसमें शिक्षा, साहित्य, खेल, सामाजिक चेतना, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में योगदान देने वाले व्यक्तियों का विशेष उल्लेख होगा।
काव्य पाठ और सामाजिक चेतना पर विशेष सत्र
आयोजन में काव्य पाठ के माध्यम से आदिवासी संस्कृति, समसामयिक विषयों, और सामाजिक चेतना पर विचार-विमर्श होगा। यह मंच आदिवासी समाज के युवाओं को प्रेरित करते हुए उन्हें उनके भविष्य के लिए तैयार करने का कार्य करता है।जोहार आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ के सभी पदाधिकारी इस भव्य आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका मानना है कि यह मंच न केवल आदिवासी कला और संस्कृति का संवाहक है, बल्कि यह युवा प्रतिभाओं को एक नई दिशा प्रदान करने का माध्यम भी है।
समाज और संस्कृति के लिए एक समर्पित प्रयास
इस वार्षिक आयोजन का उद्देश्य आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए उसे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। यह महोत्सव सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की संस्कृति और गौरव को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सभी सगा समाज के युवक-युवतियों और कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। जोहार आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ के प्रयासों को प्रदेशभर में सराहना मिल रही है और यह मंच लगातार आदिवासी समाज के विकास और प्रगति में अपना योगदान दे रहा है।