Tuesday, January 7, 2025
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आदिवासी समाज क्या वर्तमान समय धार्मिकता में गहरी साजिश के शिकार हो चुके हैं?

लेख: अनिल मरावी

जी हां सगाजनों आप जो विचार कर रहे हैं लाजिमी है जी बिल्कुल आपके समाज का वर्तमान धार्मिकता पूर्व के गहरी साजिश का नतीजा है। वर्तमान में हमारे समाज के ज्यादतर वर्ग हिंदू धर्म फॉलो करते हैं तो तो कुछ ही गिनती के लोग अपनी संस्कृति को मानते हैं ऐसा क्यों कभी आपने सोंचा? आपके धर्म संस्कृति रीति रिवाज आपके परंपरा अन्य धर्मों से बिल्कुल भी समानता नहीं है आपके पुरखों ने आपके हर रीति रिवाज संस्कृति परंपरा को बिल्कुल वैज्ञानिकता के साथ आपके लिए बना के रखा है फिर भी आप हैं कि किसी दूसरे धर्मों के अनुशरण करने से बाज नहीं आते। क्या आपको अपने धर्म संस्कृति परंपरा पर घृणा होती है या अपने संस्कृति सभ्यता को निम्न समझते हैं और गैरों के रीति रिवाज धर्म को उच्च मानते हो ? ऐसा क्यों क्या ऐसी सोंच आपके स्वयं के हैं या आपके माइंड वास कुछ वर्षों पहले कुछ चतुर चालाक लोगों ने एक गहरी साजिश के चलते किया है? जी हां उन चतुर चालाक लोगों ने ही अपनी चालाकी से आपके माइंड वास किया है वो भी आपके जल जंगल जमीन आपके संसाधन आपके जमीन के अंदर भरपूर मात्रा में खनिज और आपके संस्कृति सभ्यता आपके सामाजिक एकता को नहीं बनाए रखना जिससे आपके एकता से वो कभी भी आपके इन साधनों संसाधनों आपके जल जंगल जमीन खनिज संपदा को लूट नहीं सकते थे,इस लोकतंत्र व्यवस्था में भी आपके संख्या और एकता के कारण राजा बने रहने की व्यवस्था में वो केवल प्रजा ही बने रहते सारी शासन सत्ता आपके ही हाथों में रहने से वो हर संसाधन, भौतिक सुख,व्यवसाय , शासन सत्ता से दूर होते इसी गहरी साजिश और विचार से सबसे पहले आपको आपके सामाजिक और धार्मिक एकता को तोड़ने का प्रयास किया जो की वह सफल रहा और आप समझ भी नहीं पाए आपके समाज को अंग्रेजी हुकूमत सम्मान करते थे आपके धर्म आपके संस्कृति को जानते थे इसलिए अपने शासनकाल में आपके संस्कृति धर्म को तोड़ने का कभी यत्न नहीं किया।

अंग्रजों ने अपने शासन में पहली बार जनगणना कराई 1871 में तब आपका धर्म मूलनिवासी था।
सन 1881 और 1891 में आदिम जनजाति
1901 और 1911 में जीववादी
1921 में आदिम तथा 1931 से 1941में जनजातीय धर्म का कालम था।
परंतु जैसे ही देश स्वतंत्र होने के बाद ऐसा क्यूं कि आपके ही देश के लोगों ने आपके खिलाफ कूटनीतिक, राजनीतिक और धार्मिक रूप से गहरी साजिश किया और स्वतंत्र भारत के पहले जनगणना 1951 में आपके अस्तित्व को ही मिटाने का काम किया आपके धर्म कालम को ही विलुप्त कर दिया तब आपके समाज की जनसंख्या 99111498 था यह कार्य स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और आपके चहेते पंडित जवाहरलाल नेहरु और उनके सुनियोजित मंत्रिमंडल की कांग्रेस सरकार ने जी वही कांग्रेस जिन्होंने अब भी अपनी राजनीतिक कैरियर बनाए रखने के लिए अपने आप को देश को स्वतंत्र कराने वाली पार्टी समय समय पर घोषित करती रहती है यहां यह विचार करना लाजिमी है कि देश को आजाद कराने में अगर कांग्रेस का हाथ है तो फिर देश के वो वीर जवानों का क्या जो अपने प्राणों का न्यौछावर कर दिए उन हजारों लाखों कुर्बानियों का क्या जिन्होंने देश की आजादी में गुमनाम सी कुर्बानी दी खैर जिसे देश में पूरे लंबे समय तक राज सत्ता करने हों वो कूटनीतिक राजनीति तो करेंगे।
साथियों 1951 के बाद ही आप शुद्ध आदिवासी समाज से हिंदू बन गए ये बनने में आपकी मजबूरी थी क्योंकि आपके पास इसके सिवाय कोई विकल्प ही नहीं रहा आपको हिंदू बनाने का मुख्य कारण मैने ऊपर वर्णन किया ही है साथ ही आपको हिंदू बनाए रखने का एक धार्मिक फायदा आप हमेशा उनके वर्ण के अनुसार शुद्र और नीच बने रहोगे उनके बनाए हुए सभी देवी देवता पूजा पाठ कर्मकांडी को मानते रहोगे और उनको आपके चढ़ावे से आर्थिक विकास भी होते रहेंगे साथ ही आप अपने संस्कृति सभ्यता को भूलते जाएंगे और आपकी सामाजिक ,धार्मिक एकता में विद्रोह अलगावपन बने रहेंगे जिससे आपके समाज सामाजिक सांस्कृतिक आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा रहे। विशेषकर आज जो वर्तमान में राजनीतिक हालात है आप समझ सकते हैं।कभी आपने सुना है कि आपके पूर्वजों ने कभी हिंदू संस्कृति /ईसाई संस्कृति/मुस्लिम संस्कृति के कोई भी पूजा पाठ उपवास आदि अपने घर में किया था नहीं न! तो फिर आप क्यों?
साथियों आप विशुद्ध आदिवासी हो आपके किसी भी रीति रिवाज हिंदुओं से मेल नहीं खाता संविधान में भी आपके लिए अनुक्षेद 342 में स्थान दिया है।आप हिंदू नही क्योंकी आपके ऊपर हिंदू विवाह अधिनियम 1955 लागू नहीं होता क्योंकि आपके समाज में बहुविवाह प्रचलन में है हिंदू विवाह अधिनियम के तहत IPC की धारा 494 बहुविवाह के तहत आपको दोषी नहीं माना जा सकता। आज भले ही आपके समाज शिक्षित होने पर बहुविवाह को एक पारिवारिक अभिशाप मानने लगे हैं।आप इसलिए हिंदू नहीं क्योंकि आपके ऊपर उत्तराधिकार अधिनियम 1956 लागू नहीं होता हिंदू धर्म के तहत भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 2(2)लागू नहीं होता आपके समाज की सामाजिक व्यवस्था ही मुख्य व्यवस्था है जो आज भी कायम है आपके सामाजिक संस्कृति परंपरा आज भी कायम है परंतु आज परिस्थिति वश जब तक तलाक न हुए हो और अपने मायके में रह रही हो तो आप उनके भरण पोषण के लिए सामाजिक रीति के अनुसार कुछ रुपए देते हैं पर तलाक होने के बाद ऐसी व्यवस्था बंद हो जाती है और आप बाध्य नहीं होते।व्यस्कता और संरक्षता अधिनियम 1955 की धारा 3(2) लागू नहीं होता क्योंकि आप आदिवासी हैं आपकी संस्कृति रीति रिवाज ही आपको इस अधिनियम के तहत नहीं लाती इसलिए आप हिंदू नही हैं आप अब जबरदस्ती हिंदू बने बैठे हो आपके हिंदू बने बैठने का खामियाजा आप शैक्षणिक,सामाजिक आर्थिक और मुख्य राजनैतिक रूप से भुगत रहे हैं और जो चालें उन लोगों ने 1951 से पहले चली थी वो आज भी कामयाब हो रहे हैं चाहे सत्ता में कांग्रेस रहे या भाजपा आज भी आपके समाज हाशिए में है आपको भी राज्य और देश के सत्ता में अपने समाज का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार दिया गया है पर आपको अपनी पार्टी के बना के रख लिए हैं आप अपने समाज के प्रतिनिधि न होकर उनके पार्टी के हो गए हैं आप उस पार्टी के गाइड लाइन से बाहर नहीं जा सकते अगर जाएंगे तो बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा और आप चाह कर भी नहीं जा सकते क्योंकि आपके भी बाल बच्चे परिवार है और आपको भी नेतागिरी करने की आदत लग गई है अच्छे पैसे भी मिल जा रहे हैं।
साथियों इन्ही सब कारणों से आज आपके समाज पूरे देश में पिछड़ा हुआ है चाहे आर्थिक रूप से हों चाहे सामाजिक,शैक्षणिक,राजनैतिक रूप से हों आज पूरे देश भर में सबसे ज्यादा शोषण अत्याचार हो रहा है तो वो आदिवासी समाज ही है ।

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