रायपुर,छत्तीसगढ़ /राजधानी रायपुर में आदिवासी युवती से मारपीट और गाली-गलौज करने के मामले में रक्षित केन्द्र रायपुर के निरीक्षक राकेश चौबे को विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए कठोर कारावास और अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। चौबे के खिलाफ थाना अजाक रायपुर में अपराध क्रमांक 04/2023 के तहत धारा 451, 294, 323 (दो बार), 506बी, 354ए भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।
यह मामला तब सामने आया जब निरीक्षक राकेश चौबे शराब के नशे में महिला हॉस्टल में जबरदस्ती घुस गया और वहां मौजूद एक आदिवासी युवती के साथ मारपीट की। पीड़िता ने आरोप लगाया कि चौबे ने उसे गाली-गलौज की और किडनैप करने की धमकी भी दी। इसके बाद, युवती ने विशेष थाना अजाक रायपुर में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर चौबे के खिलाफ धारा 294, 323, 354, 451 भादवि और अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया। घटना देवेंद्र नगर थाना क्षेत्र की है और पूरी घटना महिला हॉस्टल में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी, जो पुलिस के पास सबूत के रूप में मौजूद है। विशेष न्यायाधीश ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत रायपुर की अदालत में निरीक्षक राकेश चौबे को दोषी ठहराते हुए कठोर कारावास और आर्थिक दंड की सजा सुनाई। अदालत ने माना कि चौबे का आचरण न केवल नैतिक पतन का प्रतीक है, बल्कि वह शासकीय सेवा में बने रहने योग्य नहीं है। यह फैसला समाज में पुलिस अधिकारियों के नैतिक और कानूनी दायित्वों को लेकर कड़ा संदेश देता है।
पुलिस महानिरीक्षक रायपुर क्षेत्र अमरेश मिश्रा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निरीक्षक राकेश चौबे को सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1996 और पुलिस रेग्युलेशन के प्रावधानों के तहत सेवा से पदच्युत कर दिया। इस कार्रवाई का आधार न्यायालय द्वारा चौबे को दोषी ठहराया जाना और उसका नैतिक पतन बताया गया। घटना के तुरंत बाद रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने चौबे को निलंबित कर दिया था। गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे सजा सुनाई गई। इस घटना ने राजधानी में पुलिस विभाग की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आदिवासी संगठनों और महिला अधिकार समूहों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस घटना ने पुलिस विभाग के आचरण और महिलाओं की सुरक्षा के प्रति उनके रवैये पर गहरी चिंता जताई है।