नई दिल्ली: भारत की सूचना सुरक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) और सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एंड सिक्योरिटी (एसईटीएस) ने साइबर, क्वांटम, हार्डवेयर सुरक्षा और क्रिप्टोलॉजी के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत भारत में पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (पीक्यूसी), ब्लॉकचेन प्रणाली, क्वांटम सुरक्षित वीपीएन और क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर (क्यूआरएनजी) जैसी तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। समझौते का उद्देश्य भारतीय सेना की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाना और उभरते खतरों के खिलाफ मजबूत समाधान तैयार करना है।
एमसीटीई के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल के.एच. गावस और एसईटीएस के कार्यकारी निदेशक डॉ. एन. सुब्रमण्यम ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने इस पहल को साइबर और क्वांटम सुरक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बताया। इस साझेदारी के तहत एआई, ब्लॉकचेन, क्वांटम और नेटवर्क सुरक्षा में उन्नत तकनीकों के सैन्य अनुप्रयोगों का विकास, संयुक्त कार्यशालाओं और अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी। यह समझौता भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और भारतीय सेना के लिए सुरक्षित और स्वदेशी तकनीकी समाधान तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।