नई दिल्ली: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में 10 साल बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने आज चुनावी तारीखों का ऐलान कर दिया है। तीन चरणों में मतदान होगा, जिसमें 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर की तारीखें शामिल हैं। चुनाव के नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। जम्मू में बढ़ रही आतंकी घटनाओं को देखते हुए सरकार ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। सरकार ने जम्मू के आतंक प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती का फैसला किया है।
सूत्रों के मुताबिक, आतंकी हमलों में बढ़ोतरी के बाद इंडियन आर्मी पीर पंजाल के दक्षिण में सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रही है। जम्मू-कश्मीर में पिछली बार विधानसभा चुनाव करीब 10 साल पहले हुए थे, लेकिन कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी। 2019 में अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था। हाल के दिनों में जम्मू के कठुआ, भद्रवाह, डोडा, रियासी और उधमपुर जिलों में आतंकी गतिविधियों में तेजी आई है। सुरक्षाबलों ने आतंकियों की तलाश में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। स्वतंत्रता दिवस से पहले डिफेंस मिनिस्ट्री में एक हाईलेवल मीटिंग हुई, जिसमें चुनावी तैयारियों और सुरक्षा हालात की समीक्षा की गई। सीमा पर निगरानी के लिए ड्रोन और अन्य आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है ताकि आतंकियों की घुसपैठ को रोका जा सके।
सरकार ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है। पीर पंजाल के दक्षिण में आतंकी हमलों को देखते हुए अतिरिक्त यूनिट्स की तैनाती भी की जा रही है। पुलिस और बीएसएफ के पांच हजार से ज्यादा जवान जम्मू क्षेत्र में तैनात किए जा रहे हैं। असम राइफल्स की दो यूनिट्स मणिपुर से भेजकर जम्मू में तैनात कर दी गई हैं, जबकि बीएसएफ की अतिरिक्त बटालियनों की भी तैनाती की जाएगी।