पांडवपारा छत्तीसगढ़: कोरिया जिले के पांडवपारा स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में हाल ही में एक विवादास्पद घटना सामने आई है जिसमें शिक्षिका सुरुपा दास का एक ऑडियो वायरल हुआ है। इस ऑडियो में सुरुपा दास ने एक छात्र की मां को धमकी दी है कि यदि वह ट्यूशन नहीं पढ़ाएगी, तो उसके बच्चे को फेल कर दिया जाएगा। इस घटना के बाद छात्र और उसके परिवार ने स्कूल प्रबंधन, जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और कलेक्टर से शिकायत की थी। स्कूल के इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएवी उच्च प्रबंधन ने तुरंत एक चार सदस्यीय जांच दल का गठन किया। हालांकि, जांच दल के पहुंचने से पहले ही प्राचार्य पंकज भारती ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद डॉ. मनोज कुमार सिंह को नए प्रभारी प्राचार्य के रूप में नियुक्त किया गया है। इस घटनाक्रम से अभिभावकों और छात्रों में गहरी चिंता व्याप्त है। डीएवी पब्लिक स्कूल में लगभग 1500 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और हालिया विवाद ने उनके भविष्य को लेकर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। स्कूल में शिक्षकों द्वारा छात्रों को ट्यूशन के लिए मजबूर करने और उन पर भेदभाव करने की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा, एक शिक्षक शंकर शाह द्वारा छात्रों के साथ नृत्य करने का मामला भी उजागर हुआ है, जिससे अभिभावकों में नाराजगी है।
कोयला खदान के श्रम संघों ने स्कूल प्रबंधन और एसईसीएल को ज्ञापन सौंपते हुए शिक्षिका सुरुपा दास को बर्खास्त करने, अन्य शिक्षकों का तबादला करने, और एमएलबी कमेटी को शीघ्र बदलने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने छात्र कृष्ण कुमार ठाकुर के 12वीं कक्षा में प्रवेश की भी मांग की है। यदि एक सप्ताह के अंदर उचित कार्रवाई नहीं की जाती है, तो आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। छात्र कृष्ण कुमार ठाकुर, जो आर्थिक रूप से कमजोर है, ने शिकायत की थी कि शिक्षिका ने उसे ट्यूशन के लिए दबाव डाला और धमकी दी कि यदि वह ट्यूशन नहीं पढ़ेगा तो उसे 11वीं कक्षा में फेल कर दिया जाएगा। आर्थिक स्थिति की वजह से वह ट्यूशन नहीं पढ़ सका और पूरक परीक्षा में भी असफल रहा। छात्र के माता-पिता ने शिक्षिका से ट्यूशन पढ़ाने की विनती की, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया और पांच हजार रुपये प्रति माह की मांग की। छात्र की कॉपी को भी रद्दी में बेच दिए जाने की शिकायत की गई है। डीएवी उच्च प्रबंधन का कहना है कि जांच के बाद जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्राचार्य के इस्तीफे के बावजूद, यदि वह जांच में दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी विधिक कार्रवाई की जाएगी। छात्र के पुनः प्रवेश पर भी निर्णय जांच के आधार पर लिया जाएगा।