आर एन ध्रुव/रायपुर छत्तीसगढ़: 9 अगस्त को पूरे समाज ने एकजुट होकर जो साहस और शक्ति का प्रदर्शन किया, वह व्यर्थ नहीं जाएगा। इस दिन, संयुक्त राष्ट्र संघ की मंशा के अनुरूप, विश्व आदिवासी दिवस का पर्व पूरे देश में बेहद उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया। इस अवसर पर समाज ने अभूतपूर्व एकजुटता का परिचय देते हुए विभिन्न स्थानों पर हर्षोल्लास के साथ इस दिवस को मनाया। समाज के सभी वर्गों ने इस आयोजन में करोड़ों रुपये खर्च कर अपनी संस्कृति और परंपराओं को पूरे गर्व के साथ प्रस्तुत किया। इसके लिए आप सभी को हृदय से बधाई।
हमारे समाज की एकजुटता ने इस वर्ष के आयोजन को अद्वितीय बना दिया। लाखों की संख्या में उपस्थित सामाजिक जनों ने विभिन्न मंचों पर आदिवासी समाज की समस्याओं, उनकी संभावित समाधान रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया। आदान-प्रदान किए गए विचारों से निश्चित ही एक सार्थक निचोड़ निकला होगा, जिससे भविष्य में समाज की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएंगे। इस अवसर पर हमारे विद्वान, बुद्धिजीवी, और सामाजिक मुखियाओं ने आदिवासी संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, रोजगार, व्यवस्थापन, और प्रताड़ना जैसी ज्वलंत समस्याओं पर गहन चर्चा की। इन चर्चाओं के माध्यम से सरकार का ध्यान इन मुद्दों की ओर आकर्षित कराना आवश्यक था, और इसमें सफलता प्राप्त हुई है ।
हम पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हमारे समाज के युवक-युवतियों, छोटे-छोटे बच्चों, मातृशक्ति, और पितृशक्ति ने जो एकजुटता और ताकत का परिचय दिया है, वह व्यर्थ नहीं जाएगा। 9 अगस्त को पूरे विश्व ने हमारे संगठन की ताकत देखी। इस ताकत को देखकर निश्चित रूप से सरकार हमारे समाज की समस्याओं के समाधान हेतु त्वरित और ठोस कदम उठाएगी। हमारी संगठन शक्ति ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है, और इसे हम कभी कमजोर नहीं होने देंगे।