नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, भू-आर्थिक ताकतों और भू-तकनीकी प्रगति के व्यापक निहितार्थों पर चर्चा की। उन्होंने एससीओ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सहयोग और एकजुटता के माध्यम से ही इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को सबसे महत्वपूर्ण चुनौती बताते हुए कहा कि किसी भी रूप में आतंकवाद को सहन नहीं किया जा सकता। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद का निर्णायक जवाब देने और इसके वित्तपोषण का प्रभावी मुकाबला करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने भू-अर्थशास्त्र पर चर्चा करते हुए कहा कि आज के समय में विश्वसनीय और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल को वैश्विक विकास के इंजन के रूप में प्रस्तुत करते हुए, उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी के तेजी से बदलते परिदृश्य पर भी ध्यान आकर्षित किया और कहा कि डिजिटल युग में अधिक विश्वास और पारदर्शिता की आवश्यकता है। उन्होंने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में भारत की प्रगति का उल्लेख किया।
अफगानिस्तान के बारे में प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक संबंधों और मानवीय सहायता की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत अफगान लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील है। अंत में प्रधानमंत्री ने एससीओ के आर्थिक एजेंडे को बढ़ाने में भारत के योगदान का उल्लेख किया और विभिन्न क्षेत्रों में भारत के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने एससीओ के विस्तारित परिवार के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर भी बल दिया।