गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के बेगरपाला गांव में बाबा मायाराम और ‘प्रेरक’ संस्था ने एक अनोखी पहल शुरू की है, जिससे आदिवासियों को टिकाऊ आजीविका के लिए समर्थन मिल रहा है। यह पहल वर्ष 2022 में शुरू हुई, जिसमें ‘प्रेरक’ संस्था ने खेती में सुधार, पशुपालन, वनोपज, और मजदूरी पर ध्यान दिया। इससे खेती का संरक्षण और बढ़ोत्तर उत्पादन किया जा रहा है।
बाबा मायाराम के गांव के किसानों ने इस पहल के जरिए टिकाऊ आजीविका के रास्ते खोले हैं, जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि हुई है। इसमें देसी बीजों के संरक्षण और प्रचुरता का ध्यान दिया गया है, जो किसानों के लिए एक बड़ा कदम साबित हो रहा है। इस पहल को सराहा जा रहा है क्योंकि यह न केवल आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है, बल्कि देसी खेती और पशुपालन के माध्यम से पर्यावरण को भी संरक्षित रख रही है।
इस संबंध में ‘प्रेरक’ संस्था के निदेशक रामगुलाम सिन्हा ने कहा कि “यह हमारी उद्देश्य है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसानों को स्वावलंबी बनाने में मदद करें और उनकी आमदनी में सुधार करें। इस पहल के अंतर्गत 22 गांवों को चुना गया है और देसी बीजों के संरक्षण व प्रचुरता के लिए तीन देसी बीज बैंक बनाए गए हैं। इससे आदिवासी किसानों की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
बाबा मायाराम ने यह उद्देश्य रखा है कि उनके गांव के किसानों को टिकाऊ और सुरक्षित आजीविका का सही रास्ता दिखाया जाए ताकि वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकें। इस पहल को देखते हुए लोगों ने इसे अनुकरणीय और सराहनीय बताया है, जिससे आदिवासी समुदायों के लिए एक नया दिशा स्थापित हो सकता है।